
ग्वालियर : तुलसी मानस प्रतिष्ठान मानस भवन में आयोजित आनंद में जीवन के लिए उपनिषद ज्ञान की आवश्यकता के विषय पर आज तीसरे दिन बोलते हुए प्रदीप भालचंद्र लघाटे द्वारा कहा की वेद के हर उपनिषद का एक शांति पाठ होता है जिसे पढ़कर यह प्रार्थना की जाती है की हमारा मन उपनिषद के श्रवण के लिए एकाग्र हो ताकि यथार्थ आकलन हो सके ‘ईशावास्य उपनिषद’ दस उपनिषदों मैं पहले क्रमांक पर है.
इसी तरह उपनिषद का एक आरंभ भाष्य भी होता है, जिसमें उपनिषद की प्रस्तावना होती है । ईशावास्य उपनिषद के आरंभ भाष्य में कहा गया है कि कर्म और ज्ञान के समुच्चय से नहीं बल्कि समन्वय से मोक्ष प्राप्त होता है।आज के कार्यक्रम में श्रीमती डॉ वीणा जोशी, सुनीता बक्षी, सुधा अग्रवाल, मीना शर्मा, श्री मोहन गुर्जर,पं रामकृपाल खरे, महेश मिश्रा, राजेंद्र अग्रवाल, राघवेंद्र शिरगांवकर, रमेश घोडके , श्रीपाद बोकिल , अभय पापरीकर आदि उपस्थित थे.









