
प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसले में FIR रद्द करने से इंकार कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने से इंकार करते हुए कहा कि न्यायालय कर्मचारियों की धोखाधड़ी से न्याय प्रणाली पर दूरगामी हानिकारक प्रभाव पड़ता है और न्यायपालिका में जनता का विश्वास कम होता है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ ने कहा कि जब न्यायालय कर्मचारी व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने अधिकार का दुरुपयोग करते हैं, तो इससे न्यायिक निर्णयों की सत्यनिष्ठा से समझौता होता है और कानूनी कार्यवाही की वैधता पर सवाल उठते हैं।
खंडपीठ ने न्यायालय के दस्तावेजों की जालसाजी करने के आरोप में न्यायालय कर्मचारी के खिलाफ धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120-बी आईपीसी के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार करते हुए ये टिप्पणिया की हैं।









