प्रयागराज. संगम नगरी प्रयागराज में बुधवार से 12 दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प मेले की शुरुआत होने जा रही है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज में एक दिसंबर से 12 दिसंबर तक चलने वाले राष्ट्रीय शिल्प मेले का शुभारंभ कमिश्नर संजय गोयल शाम 5:00 बजे करेंगे। कोरोना की महामारी के चलते दो साल बाद आयोजित हो रहे राष्ट्रीय शिल्प मेले में इस बार देश के कोने कोने से हस्तशिल्पयों को आमंत्रित किया गया है। जिसमें भारत के पारंपरिक शिल्प और व्यंजनों के सौ से ज्यादा स्टाल लगेंगे। इसके साथ ही साथ शास्त्रीय व उपशास्त्रीय गायन-वादन और नृत्य के साथ लोकगीत और लोकनृत्य का भी दर्शक लुफ्त उठा सकेंगे। राष्ट्रीय शिल्प मेले में देश के अलग-अलग राज्यों के 97 हस्तशिल्पियों के स्टॉल और 21 खानपान की स्टाल लगेंगे। हस्तशिल्प में जहां जयपुर की रजाई बनारस की साड़ी भदोही का कालीन, मुजफ्फरनगर का फर्नीचर लोगों को देखने को मिलेगा। वहीं खानपान में विभिन्न राज्यों के व्यंजन का लोग जायका ले सकेंगे। फूड स्टॉल में राजस्थानी, बंगाली और यूपी के अलग-अलग शहरों के व्यंजन लोगों को खाने को मिलेंगे।
एनसीजेडसीसी की ओर से छह ऐसे परंपरागत हस्त शिल्पियों को आमंत्रित किया गया है जो कि बेहद गरीब हैं और अपने खर्च पर स्टाल नहीं लगा सकते हैं। उनका खर्चा संस्थान द्वारा वाहन किया जाएगा। इस बात की जानकारी एनसीजेडसीसी के निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा ने दी है। उनके मुताबिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में स्थानीय, प्रदेश, जोनल और देश के अन्य राज्यों के कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।
निदेशक के मुताबिक एनसीजेडसीसी की कोशिश है कि ऐसे कलाकारों को आमंत्रित किया गया है,जो कि ट्रेडिशनल परिवारों से हैं और उनकी कलाकार का स्तर ऊंचा है। उन्होंने कहा है कि एक ही कलाकार बार-बार अलग-अलग दल के नाम से रजिस्टर्ड थे और लगातार शिल्प मेले में आ रहे थे। जिससे दूसरे कलाकारों को मौका नहीं मिल रहा था। इसके लिए यह कोशिश की गई है कि कलाकारों का भी आधार कार्ड भी लिंक कराया गया है ताकि एक दल में आने वाला कलाकार गलत तरीके से दूसरे दल में ना आए। इस तरह से हर कलाकार को सिर्फ मेले में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का बराबर मौका मिलेगा।
एनसीजेडसीसी के निदेशक प्रोफेसर सुरेश शर्मा के मुताबिक सांस्कृतिक कार्यक्रम शाम 5:30 बजे से रात 9:00 बजे तक आयोजित किए जाएंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रम में भजन, आल्हा गायन, ममिता, लबांग बोमानी नृत्य, शैला एवं गैंड़ी नृत्य, राई नृत्य, हरियाणा के लोक नृत्य, ब्रिज के लोक नृत्य, पाण्डवानी गायन, उप शास्त्रीय भजन गायन, बिहार के लोक नृत्य, पूर्वी राज्यों के लोक नृत्य, कजरी व लोक गीत गायन, सूफी गायन, भोजपुरी गायन, भांगड़ा, डांडिया, गरबा जैसे कार्यक्रम दर्शकों को देखने को मिलेंगे।