
रिपोर्ट : विपिन सोलंकी, बागपत
बागपत का परशुरामेश्वर महादेव मंदिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक बड़ा ओर ऐतिहासिक शिव मंदिर है. यहाँ पर पश्चाताप के लिए भगवान परशुराम जी ने घोर तपस्या कर भगवान भोले नाथ कों प्रसन्न किया था जिसके बाद कजरी वन में परशुराम जी ने शिवलिंग की स्थापना की थी और हरिद्वार ओर गोमुख से जल लेकर जलाभिषेक किया था. तब से इस मंदिर में फाल्गुनी ओर श्रवण मास में शिवरात्रि का टिन दिवसीय मेला लगता है ओर हजारों लाखो श्रद्धालू भगवान का जलाभिषेक करते हैं
दरअसल आपको बता दें कि बागपत के पुरा गांव में एक बड़ा टीला है ओर इस टीले पर भगवान भोलेनाथ का मंदिर है जिसे परशुरामेश्वर महादेव मंदिर के के नाम से जाना जाता है | यहाँ पर श्रावण ओर फागुन मास में तीन दिवसीय मेला लगता है ओर हरिद्वार से काँवड़ में जल लाकर श्रद्धालू भगवान आशुतोष का जलाभिषेक कर मनोकामना मांगते हैं |
भगवान परशुराम जी ने की थी तपस्या
किदवंती है कि बागपत जनपद के बालेनी क्षेत्र का जंगल प्राचीन काल में कजरी वन के नाम से जाना जाता था | ओर इसी वन में ऋषि जमदगनी का आश्रम था ओर उस आश्रम में ऋषि जमदगनी अपनी पत्नी के साथ रहते थे ओर तपस्या करते थे उनके परशुराम जी रहते थे भगवान परशुराम जी ने अपनी मां कों जीवित करने के लिए पश्चाताप करते हुए कजरी वन में घोर तपस्या की थी ओर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन देकर कहा था कि वे शिवलिंग की स्थापना कर हरिद्वार ओर गोमुख से गंगाजल लेकर जलाभिषेक करेंगे तों उनकी मां जीवी हो जाएगी | जिसके चलते ही भगवान परशुर्म जी ने यहाँ शिवलिंग की स्थापना कर जलाभिषेक किया था तभी से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है ओर हजारों लाखो श्रधांलू यहां महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक करते हैं |
दूर दराज से पहुँचते है श्रद्धालु
आपको बता दें कि परशुरामेश्वर महादेव मंदिर पश्चिम उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक मंदिर है ओर यहाँ फाल्गुनी ओर श्रवण मास कों तीन दिवसीय मेला लगता है यहाँ दिल्ली, एनसीआर, हरियाणा ओर पंजाब से श्रद्धालू पहुँचते है ओर यहाँ पर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करने से मनोकामना पूरी होती है