UP: मकर संक्रांति के बाद राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल की तैयारी, भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन…

उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में बड़े बदलाव की संभावना है। राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल के साथ-साथ भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी किया जाएगा। इस बदलाव में भाजपा संगठन और सरकार के बीच अदला-बदली का फार्मूला अपनाया जा सकता है।

Uttar-Pradesh: मकर संक्रांति के बाद उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में बड़े बदलाव की संभावना है। राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल के साथ-साथ भाजपा की नई प्रदेश कार्यकारिणी का गठन भी किया जाएगा। इस बदलाव में भाजपा संगठन और सरकार के बीच अदला-बदली का फार्मूला अपनाया जा सकता है।

आपको बता दें कि, मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास पर हुई कोर कमेटी की बैठक में इस बदलाव पर गहन चर्चा हुई। बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी, प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह और RSS के क्षेत्र प्रचारक पूर्वी अनिल और पश्चिमी महेन्द्र कुमार भी मौजूद थे। इस बैठक को 2027 के विधानसभा चुनाव की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

बता दें, सूत्रों के मुताबिक, कुछ संगठन के चेहरों को सरकार में लाया जा सकता है, वहीं कुछ मंत्रियों को संगठन में अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस पुनर्गठन की योजना बनाई जा रही है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी के सरकार में शामिल होने की भी संभावना जताई जा रही है।

वहीं प्रदेश मंत्रिमंडल में मुख्यमंत्री समेत कुल 54 मंत्री हैं, जबकि अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे जितिन प्रसाद और राजस्व राज्य मंत्री रहे अनूप प्रधान लोकसभा चुनाव के बाद सांसद बन गए हैं। जितिन प्रसाद तो केंद्र सरकार में राज्य मंत्री भी हैं। ऐसे में नए चेहरों को मौका दिए जाने की संभावना है।

बता दें कि, बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी दिल्ली रवाना हो गए हैं, जहां वह हाईकमान को पूरी जानकारी देंगे। कुछ राज्य मंत्रियों (स्वतंत्र प्रभार) को कैबिनेट मंत्री बनाने का भी विचार है। इसके अलावा विभागीय प्रदर्शन, प्रशासनिक रिपोर्ट और एसआइआर के आधार पर कुछ मंत्रियों को संगठन में भेजने की योजना बन सकती है।

राज्य में आयोगों और बोर्डों में खाली पड़े पदों को भरने पर भी सहमति बनी है। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं।

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