
रामनाथ गोएंका की विरासत और स्वतंत्र प्रेस का महत्व
रामनाथ गोएंका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड्स 2023 के समारोह में उपस्थित होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। इन पुरस्कारों के माध्यम से हम भारतीय पत्रकारिता की उत्कृष्टता को सम्मानित करते हैं। साथ ही, हम रामनाथ गोएंका की विरासत को भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जो द इंडियन एक्सप्रेस समूह के संस्थापक और भारतीय मीडिया के महान आइकन थे। गोएंका जी ने स्वतंत्रता संग्राम से पहले और बाद में भी प्रेस की स्वतंत्रता के लिए आवाज उठाई। आपातकाल के दौरान उनका समाचार पत्र झुका नहीं, और उसने जो खाली संपादकीय प्रकाशित किया, वह स्वतंत्र प्रेस का प्रतीक बन गया और लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली के लिए आशा का संकेत था।
गोएंका जी का साहस उन मूल्यों से प्रेरित था, जो उन्हें हमारे स्वतंत्रता संग्राम से मिले थे। महात्मा गांधी ने भी पत्रकारिता को अपनी कई भूमिकाओं में से एक माना था। उनका पहला लंबा कारावास उनके यंग इंडिया पत्रिका में लिखे गए लेखों के कारण हुआ। गांधी जी ने कहा था, “पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य सेवा होना चाहिए,” और गोएंका जी की पत्रकारिता भी यही थी — अपने नागरिकों की सेवा में।
पत्रकारिता के क्षेत्र में सेवा का विस्तार
गोएंका जी के लिए सेवा का विचार सिर्फ पत्रकारिता तक सीमित नहीं था। उनका गांधी जी के साथ संबंध भी विभिन्न कार्यों में था। 1933 में जब गांधी जी हरिजान उत्थान के लिए धन एकत्र कर रहे थे, तो गोएंका जी ने 15 रुपये की क़ीमत वाले एक बक्से के लिए 100 रुपये की बोली लगाई। 1935 में जब गांधी जी हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष फिर से चुने गए, तो उन्होंने गोएंका जी को दक्षिण में हिंदी प्रसार के एक “संरक्षक” के रूप में नामित किया।
लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का महत्व
लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता का महत्व अत्यधिक है। यदि नागरिकों को सही जानकारी नहीं मिलती, तो लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का कोई अर्थ नहीं रह जाता। समाचार मीडिया को ‘चौथा स्तंभ’ कहा जाता है, क्योंकि यह आधुनिक राज्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस संदर्भ में, हम सभी का इस क्षेत्र की सेहत में एक हिस्सा है।
समाचार प्राप्ति और गुणवत्ता को बेहतर बनाने की आवश्यकता
एक समृद्ध और विचारों से भरपूर समाचार कक्ष आवश्यक है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने इस मंच पर एक बार समाचार कक्ष के साथ एक शोध विंग की आवश्यकता पर बल दिया था। यह जानकर खुशी होती है कि द इंडियन एक्सप्रेस के पास एक जीवंत समाचार कक्ष और शोध टीम है।
संचार मॉडल और व्यावसायिकता
समाचार प्राप्ति, जो पत्रकारिता का आत्मा है, को और मजबूत करना चाहिए। इसके लिए आपको पत्रकारिता के लिए संसाधन और व्यावसायिक मॉडल को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने पहले गुणवत्तापूर्ण रिपोर्टिंग और विश्लेषण पेश किए, और पाठक अपनी प्रति खरीदते थे। हालांकि, हाल के दशकों में यह मॉडल कई हाइब्रिड मॉडल्स में बदल चुका है। इनका मूल्यांकन करना चाहिए कि इनका पत्रकारिता की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ता है।
सोशल मीडिया और गलत जानकारी का मुकाबला
हम आशा करते हैं कि हम जल्द ही उस स्तर तक पहुंचेंगे जब दुर्भावनापूर्ण सामग्री और “पोस्ट-ट्रुथ” की धारणा समाप्त हो जाएगी। इस दिशा में तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है। इसके साथ ही हमें नागरिकों को शिक्षा देने के लिए सक्रिय अभियानों की आवश्यकता है, ताकि वे इन खतरों से परिचित हो सकें। विशेषकर युवा पीढ़ी को समाचार रिपोर्टिंग और विश्लेषण में पूर्वाग्रह और एजेंडा की पहचान करने के लिए शिक्षित किया जाना चाहिए।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और पत्रकारिता
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) इस दुनिया में नई चुनौतियों और अवसरों के साथ आ रही है, जिसमें पत्रकारिता भी शामिल है। हालांकि, मशीनों में सहानुभूति की कमी है, जो पत्रकारों को AI से बेहतर करने में मदद कर सकती है। मानव मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता कभी समाप्त नहीं होगी।
प्रशंसा और भविष्य की दिशा
आज के अवार्ड विजेताओं का कार्य इन मानव मूल्यों की झलक दिखाता है। उनकी पत्रकारिता अपने नागरिकों के लिए चिंता को दर्शाती है। मुझे खुशी है कि इन पुरस्कारों में क्षेत्रीय भाषाओं में पत्रकारिता को भी सम्मानित किया जाता है, जो उन क्षेत्रों से रिपोर्ट्स को उजागर करता है जो बड़े शहरों से दूर हैं।
रमनाथ गोएंका पुरस्कारों ने भारतीय पत्रकारिता में उत्कृष्टता के मानक को ऊंचा किया है, जो हमारे लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करता है। मुझे शुभकामनाएं हैं कि आप सभी ऐसे पत्रकारिता का अभ्यास करते रहें जो सच में मायने रखती है।
लेखक: राष्ट्रपति भारत सरकार








