
वाराणसी : उत्तर प्रदेश सरकार के कारागार एवं होमगार्ड मंत्री धर्मवीर प्रजापति सोमवार को विचाराधीन कैदियों को गर्म कपड़े और सुंदरकांड बाटने के लिए वाराणसी जिला जेल पहुंचे। जिला जेल पहुंचे ही मंत्री धर्मवीर प्रजापति का पारा तब चढ़ गया जब मुलाकातियो के लिए बनाए गए बाथरूम में गंदगी देखा। मंत्री ने मौके पर मौजूद जिला जेलर और अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। इसके साथ ही बाथरूम की सफाई का निर्देश देते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बात कही। वही कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने जिला कारगार का निरीक्षण किया और विचाराधीन कैदियों से जेल की व्यवस्थाओं को लेकर फीडबैक लिया।

आर्थिक रूप से कमजोर छोटे जुर्माना वाले कैदी जेल में नही रहेंगे बंद : कारागार मंत्री
वाराणसी में जिला जेल में करीब 100 से अधिक कैदियों को गर्म कपड़े और सुंदरकांड बांटने के पश्चात कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार जेल की व्यवस्थाओं को सही करने और आर्थिक रूप से कमजोर कमजोर कैदी जो छोटे जुर्माना न दे पाने की वजह से जेल में रह जाते है उन्हें जेल से बाहर करने की कवायत कर रही है। मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर छोटा जुर्माना न दे पाने वाले कैदियों को एनजीओ के माध्यम से जुर्माना जमा करवाकर छुड़वाया जा रहा है। विगत दो वर्षो में प्रदेश में ऐसे करीब एक हजार कैदियों को जेल से बाहर निकला गया है। उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में जिन निरुद्ध कैदियों के पास गर्म कपड़े नही है और उनके परिजनों के द्वारा उपलब्ध नहीं करवाया नही किया गया है, ऐसे कैदियों को सरकार की तरफ से गर्म कपड़े उपलब्ध करवाए जा रहे है, ताकि वह इस कड़ाके की ठंड से बचाव हो सके।

मंत्री ने कैदियों को दिलवाया संकल्प, भावुक हुए जेल में बंद कैदी
प्रदेश के कारागार मंत्री धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि मंत्री बनने के बाद वह बंदियों को सुधारने के लिए संवाद करते है। उनके परिवार कि स्थितियों के बारे में जानकारी ली जाती है। इस दौरान बंदियों को संकल्प दिलवाया जाता है, कि जेल से बाहर जाने के बाद वह दोबारा कोई ऐसी गलती एम करे, जिससे उन्हें जेल में आना पड़े। कैदियों में पिछले कुछ वर्षो में देखा गया है, कि वह बदलाव आ रहा है। उन्होंने बताया कि बाहरी दुनिया से अलग रहने वाले कैदियों और निरुद्ध कैदियों को सुंदरकांड की पुस्तक बांटी जाती है, क्योंकि जेल में खाली रहने की वजह से कैदी एक दूसरे की केस की चर्चा करते है। जेल से बाहर आने के बाद उस चर्चा का उनके दिमाग के ऊपर गहरा असर न पड़े इस लिए ऐसे चर्चा से बचाने के लिए कैदियों को सुंदरकांड की पुस्तक वितरित की जाती है, ताकि वह खाली समय में सुंदरकांड का पाठ कर सके और बेवजह की बातों से दूर रहे।









