
Radhika Yadav Murder Case: गुरुग्राम से आई इस खबर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। टेनिस की स्टेट चैंपियन, इंटरनेशनल प्लेयर, और एक होनहार बेटी… राधिका यादव अब नहीं रही। उसकी मौत किसी हादसे से नहीं, बल्कि उसी शख्स के हाथों हुई जिसने कभी उसके लिए सपने देखे थे…. उसके पिता दीपक यादव…..
पुलिस की जांच और FIR की कॉपी में जो बातें सामने आई हैं, वो सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं कहतीं… वो एक पूरे समाज की मानसिकता की परतें खोलती हैं।
पिता को परेशानी थी समाज के तानों से
राधिका ने कंधे में चोट लगने के बाद प्रोफेशनल टेनिस खेलना छोड़ दिया था, लेकिन हार नहीं मानी। उसने टेनिस एकेडमी शुरू की, जिसमें अच्छा पैसा आने लगा। लेकिन उसके पिता दीपक यादव को परेशानी राधिका की कमाई से नहीं थी, परेशानी थी समाज के तानों से।
“बेटी कमाती है, बाप खा रहा है!”
लोग कहते थे “बेटी कमाती है, बाप खा रहा है!” ये बातें धीरे-धीरे एक पिता के आत्मसम्मान को निगल गईं। दीपक यादव ने पुलिस को बताया कि उसने राधिका को कई बार एकेडमी बंद करने के लिए कहा, लेकिन राधिका ने मना कर दिया। “मेरी ज़िंदगी के फैसले मैं खुद लूंगी,” ये सुनकर वह तिलमिला गया। और उसी गुस्से में उसने .32 बोर की लाइसेंसी रिवॉल्वर से रसोई में खाना बना रही राधिका को तीन गोलियां मार दीं।
मां अंजू ने पुलिस को बयान देने से किया इनकार
FIR के अनुसार, दीपक ने खुद जुर्म कबूल कर लिया है। राधिका की मां अंजू ने पुलिस को बयान देने से इनकार कर दिया है। पिता के खिलाफ हत्या की धारा 103(1) BNS और आर्म्स एक्ट की धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
चार सबसे बेहतरीन युवा टेनिस खिलाड़ियों में से एक
राधिका सिर्फ एक बेटी नहीं थी… वह ITF रैंकिंग में 1638 पर, AITA की टॉप 100 में शामिल, और हरियाणा की चार सबसे बेहतरीन युवा टेनिस खिलाड़ियों में से एक थी। उसने ट्यूनीशिया के W15 इंटरनेशनल टूर्नामेंट तक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। लेकिन ये सारे मेडल, सारी मेहनत और सारी कामयाबी बेकार हो गई क्योंकि कुछ लोगों ने रील्स देखकर ताना मार दिया।
क्यों आज भी बेटियां अगर अपने दम पर कुछ करें, तो समाज की नजरों में बर्दाश्त नहीं होता? क्यों एक बाप को बेटी की उड़ान उसकी मर्दानगी पर चोट लगती है?
यह सिर्फ एक मर्डर नहीं, समाज का आईना है…
राधिका यादव की हत्या सिर्फ एक क्राइम स्टोरी नहीं है। यह एक प्रेसर कुकर जैसे समाज का आईना है, जहां बेटी की कामयाबी पर सवाल, रील्स पर जजमेंट और आज़ादी पर बंदूक रख दी जाती है। राधिका के हाथ में रैकेट था, दिमाग में सपने थे, और सोशल मीडिया पर हज़ारों फॉलोअर्स थे। लेकिन एक लाइसेंसी रिवॉल्वर ने सब खत्म कर दिया।









