
दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में पारित हो चुका है. सोमवार को इसे राज्यसभा के पटल पर रखा गया. आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद राघव चड्ढा ने राज्य सभा में अपना वक्तव्य रखा. इस दौरान उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. अपने शुरूआती वक्तव्य में उन्होंने कहा कि आज वो केवल 30 करोड़ दिल्ली के लोगों की ओर से नहीं बल्कि 135 करोड़ भारत की जनता की ओर से बोल रहे हैं.
दिल्ली सेवा बिल पर आगे बोलते हुए उन्होंने इसे महज एक कागज का टुकड़ा बताया. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के इतिहास में इससे असंवैधानिक और कुछ हो ही नहीं सकता. आप सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में रामधारी सिंह दिनकर की रश्मिरथी की कुछ पंक्तियों को पढ़ा जिसमें भगवान कृष्ण के शांतिदूत के रूप में पांडवों की ओर से हस्तिनापुर की सभा में हुए संवाद का जिक्र है.
पंक्तियों के समापन के बाद राघव चड्ढा ने कहा कि इसमें दिल्ली सेवा बिल का सार है. उन्होंने कहा कि हम न्याय और अपना हक मांग रहे हैं. हमें अपने हक से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए. राघव चड्ढा ने दिल्ली सेवा बिल को ‘सियासी धोखा’ करार दिया. उन्होंने कहा कि साल 1977 से 2015 तक भाजपा ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए 40 साल तक संघर्ष किया. उन्होंने साल 1989 के भाजपा का लोकसभा चुनाव घोषणा पत्र का हवाला दिया. जिसमें दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात कही गई थी.
उन्होंने यह भी कहा कि साल 1991 में जब कांग्रेस की सरकार ने दिल्ली में विधानसभा का गठन किया तो भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने बयान दर्ज कराया और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग की. साथ ही ऐसा ना होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी थी. इसके बाद राघव चड्ढा ने साल 1999 का बीजेपी का घोषणा पत्र दिखाया और कहा कि इस साल भी भाजपा ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को अपने मेनिफेस्टो में जगह दिया.
राघव चड्ढा ने साल 2003 का जिक्र करते हुए बताया कि तब इसी भाजपा सरकार के उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ‘द कॉन्स्टीट्यूशनल अमेंडमेंट बिल 2003 लेकर आए जो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देता है. उन्होंने भाजपा के कई घोषणा पत्रों का हवाला दिया और बताया की कैसे बीजेपी ने बार बार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग रखी थी.
उन्होंने बीजेपी पर आगे हमलावर होते हुए कहा कि ये बिल ना केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह अटल विहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मदन लाल खुराना, सुषमा स्वराज और भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेताओं का अपमान है. उन्होंने कहा कि ये बिल भाजपा संरक्षकों की 40 साल के संघर्ष को मिट्टी में मिला देने वाला है.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में दिल्ली में 6 बार विधानसभा चुनाव हुए. इन सभी चुनावों में भाजपा लगातार बहुत बुरी तरह से हारी है. चूंकि ये पिछले 25 साल में दिल्ली में एक भी चुनाव नहीं जीत पाए और इन्हें मालुम है कि आगे के 25 साल भी ये दिल्ली में अपनी सरकार नहीं बना पाएंगे इसलिए ये बिल लेकर आ रहे हैं. ये लोग सरकार को नष्ट करने का काम कर रहे हैं.
अपने अगले वक्तव्य में दिल्ली सेवा बिल को एक ‘संवैधानिक पाप’ करार दिया. राघव चड्ढा ने कहा कि ये बिल संविधान के अनुच्छेद 123 द्वारा प्रदत्त अध्यादेश बनाने की शक्ति का दुरुपयोग है. इसके पीछे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा, “वाई वी चंद्रचूड़ की पीठ ने एके रॉय बनाम भारत संघ मामले में ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा था कि अध्यादेश केवल विषम और आपातकालीन परिस्थितियों में लाए जा सकते हैं.” दिल्ली में ऐसी कौन सी आपातकालीन परिस्थिति पैदा हो गई हैं?
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट का अपनाम किया है. यह बिल भारत के संघीय ढांचे पर आघात है. यह उसकी गरिमा को धूमिल करने वाला एक कृत्य है. उन्होंने आगे कहा कि साल 2018 और 2023 में सुप्रीम कोर्ट की एक संवैधानिक पीठ का फैसला कहता है कि दिल्ली के पास एक अपनी संवैधानिक पहचान है.
राघव चड्ढा ने कहा कि भारत का संविधान जो दिल्ली सरकार को शक्तियां प्रदान करती है, उस पर ये अतिक्रमण करने का काम कर रहे हैं. भाजपा दिल्ली में एक प्रशासनिक गतिरोध उत्पन्न करना चाहती है. जिसके लिए ये एक असंवैधानिक बिल को पारित कराना चाह रहे हैं. उन्होंने सभी विपक्षी दलों से अपील की कि दिल्ली सेवा बिल को पारित होने से रोका जाए.








