
22 मई 2025, भारत आज महान समाज सुधारक और आधुनिक भारत के जनक राजा राम मोहन रॉय की 252वीं जयंती मना रहा है। राजा राम मोहन रॉय वह व्यक्तित्व थे जिन्होंने भारत में सामाजिक और धार्मिक सुधारों की नींव रखी।
राजा राम मोहन रॉय का जन्म 22 मई 1772 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हुआ था। वे एक शिक्षित ब्राह्मण परिवार से थे और उन्होंने संस्कृत, फारसी, अरबी, अंग्रेज़ी और लैटिन जैसी कई भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की।
महिला सशक्तिकरण और सती प्रथा के खिलाफ संघर्ष
राजा राम मोहन रॉय का सबसे बड़ा योगदान सती प्रथा के उन्मूलन में रहा। उन्होंने इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ आंदोलन चलाया और तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक की सहायता से 1829 में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगवाया।
ब्राह्म समाज की स्थापना
सन् 1828 में उन्होंने ब्राह्म समाज की स्थापना की, जो भारत में धार्मिक सुधार और समानता की दिशा में बड़ा कदम था। ब्राह्म समाज ने मूर्तिपूजा, जातिवाद, और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
शिक्षा और पत्रकारिता में योगदान
राजा राम मोहन रॉय ने भारतीय समाज में शिक्षा के महत्व को समझा और अंग्रेज़ी शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने कई विद्यालयों की स्थापना की और ‘संवाद कौमुदी’ नामक बंगाली अखबार भी शुरू किया, जो समाज को जागरूक करने का माध्यम बना।
अंतिम समय और निधन
राजा राम मोहन रॉय वर्ष 1830 में इंग्लैंड गए, जहां उन्होंने भारतीय हितों की वकालत की। वहीं पर उनका 27 सितंबर 1833 को निधन हो गया। वे आज भी समाज सुधार और नवजागरण के प्रतीक माने जाते हैं।









