
सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल पास हो गया. बिल पर लंबी बहस के बाद वोटिंग कराई गई, लेकिन ध्वनिमत से फैसला नहीं हो सका. जिसके बाद सांसदों ने वोट विभाजन की मांग की. वहीं विपक्षी सांसदों द्वारा डिवीजन की मांग की गई. बाद में मतदान के लिए वोटिंग मशीन मंगाई गई लेकिन मशीन खराब होने की वजह से बैलट पेपर के जरिए मत का निर्धारण किया गया.
133 सांसदों ने बिल के पक्ष में वोट किया जबकि 102 सांसदों ने बिल के विरोध में मतदान किया. इसके साथ ही दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा में भी पास हो गया. अब यह बिल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून की शक्ल लेगा. बिल के पास होने के साथ ही दिल्ली की मुख्य प्रशासनिक शक्तियां केंद्र सरकार के पास होंगी. अब से दिल्ली में मुख्यमंत्री की तुलना में लेफ्टिनेंट गवर्नर की शक्ति कई मामलों में बढ़ जाएगी.
बिल पास होने के साथ ही विपक्षी गठबंधन में भी विक्षोभ मचना तय माना जा रहा है. इसकी मुख्य वजह ये है कि बताया जा रहा है कि BJP के प्रतिद्वंदी विपक्षी दलों ने भी बिल को लेकर आप का साथ नहीं दिया है. बहरहाल, अब यह बिल दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार केंद्र सरकार को देगा. यह एक ट्रिब्यूनल के गठन को अनुमति देगा जो दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को नियंत्रित करेगा.









