
नई दिल्ली : देश में कच्चे रेशम का उत्पादन जनवरी 2025 तक 34,042 मीट्रिक टन (MT) तक पहुंच गया है, जो एक सकारात्मक वृद्धि को दर्शाता है। यह जानकारी केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री पबित्र मार्घेरिटा ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
बीते 10 वर्षों में 9,743 मीट्रिक टन की वृद्धि
मंत्री के अनुसार, पिछले दस वर्षों में देश में कच्चे रेशम के उत्पादन में 9,743 मीट्रिक टन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वृद्धि केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं जैसे कि कैटलिटिक डेवलपमेंट प्रोग्राम (CDP), नॉर्थ ईस्ट रीजन टेक्सटाइल प्रमोशन स्कीम (NERTPS), सिल्क समग्र और सिल्क समग्र-2 जैसी योजनाओं के कारण संभव हुई है।
80.90 लाख लोगों को रोजगार
जनवरी 2025 तक कच्चे रेशम के उत्पादन के आधार पर अनुमानित रोजगार सृजन 80.90 लाख लोगों तक पहुंच गया है, जिसमें 71.2 लाख लोग सीधे और 9.7 लाख लोग परोक्ष रूप से रोजगार पा रहे हैं।
109 ऑटोमैटिक रीलिंग मशीनों से उत्पादन में सुधार
देश में 109 ऑटोमैटिक रीलिंग मशीनों (AMRs) की स्थापना और संचालन से अंतरराष्ट्रीय ग्रेड (3A और 4A) गुणवत्ता वाले रेशम के उत्पादन में वृद्धि हुई है।
रेशम उद्योग के विकास के लिए 4,679.85 करोड़ रुपये का बजट
26 मार्च को एक प्रश्न के उत्तर में, मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार के केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा 2021-22 से 2025-26 तक सिल्क समग्र-2 योजना को लागू किया जा रहा है। इस योजना के तहत 4,679.85 करोड़ रुपये की राशि रेशम उद्योग के समग्र विकास के लिए आवंटित की गई है।
योजना के तहत मिल रही सहायता
इस योजना के तहत किसानों के लिए नर्सरी स्थापित करने, रेशमकीट पालन सहायता (जिसमें पौधरोपण, सिंचाई, पालन गृह, पालन उपकरण और सुरक्षा उपाय शामिल हैं), चावकी पालन केंद्रों की स्थापना, रेशम बीज उत्पादन, रीलिंग, कताई, बुनाई और प्रसंस्करण से जुड़ी आधारभूत संरचनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
78,000 से अधिक लाभार्थियों को मिला लाभ
अब तक इस योजना के अंतर्गत राज्यों को 1,075.58 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता दी गई है, जिससे लगभग 78,000 लाभार्थियों को कवर किया गया है। इससे पूर्व और पश्चात कोकून गतिविधियों और मशीनरी के माध्यम से रेशम उद्योग की स्थिरता को बढ़ावा मिल रहा है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम
मंत्री ने कहा कि अनुसंधान और विकास कार्यों के माध्यम से रेशम उत्पादन और उत्पादकता में सुधार हुआ है, जिससे भारत को रेशम क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।