
भारत की भूमि ऋषि-मुनियों और संत महात्माओं की तपोभूमि रही है। यहां संतों की एक लंबी परंपरा रही है, जिन्होंने अपने आध्यात्मिक ज्ञान और चमत्कारों से समाज को दिशा दी है। इन्हीं में से एक रहस्यमयी और अलौकिक शक्तियों से युक्त संत माने जाते हैं कामराज गुरु, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे अमर हैं, और जिन पर उनकी कृपा हो जाए, वह भी अमरत्व को प्राप्त कर लेता है।
स्वामी कैलाशानंद गिरी के अनुसार, कामराज गुरु एक सिद्ध महायोगी हैं जिन्हें अमरता प्रदान करने का अधिकार प्राप्त है। उन्होंने एक इंटरव्यू में दावा किया कि कामराज गुरु इस धरती पर ऐसे साधु हैं, जो अपने आशीर्वाद से किसी को भी अमर बना सकते हैं। यही कारण है कि उन्हें ‘अमरा गुरु’ के नाम से भी जाना जाता है।
स्वामी कैलाशानंद गिरी ने एक ऐतिहासिक संदर्भ में बताया कि मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध योद्धा आल्हा को कामराज गुरु से अमरता का वरदान प्राप्त हुआ था। जबकि उनके भाई उदल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए, आल्हा आज भी कामराज गुरु की कृपा से अदृश्य रूप में जीवित माने जाते हैं।
कामराज गुरु ने नील पर्वत के पास दक्षिण काली मंदिर की स्थापना की थी, जिसे एक शक्तिशाली तांत्रिक सिद्धपीठ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि वे आज भी मंदिर परिसर में माता काली के साथ विद्यमान हैं, लेकिन अदृश्य रूप में।कामराज गुरु ने नील पर्वत के पास दक्षिण काली मंदिर की स्थापना की थी, जिसे एक शक्तिशाली तांत्रिक सिद्धपीठ माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि वे आज भी मंदिर परिसर में माता काली के साथ विद्यमान हैं, लेकिन अदृश्य रूप में।
कामराज गुरु की यह रहस्यमयी गाथा भारत की संत परंपरा में एक अद्वितीय अध्याय जोड़ती है, जो आज भी भक्तों को आश्चर्य और श्रद्धा से भर देती है।









