
माओवादी प्रभाव से मुक्त क्षेत्र में तिरंगे की लहर
इस गणतंत्र दिवस पर बस्तर के कम से कम 30 गांवों में तिरंगा फहराया जाएगा, जो पहले माओवादी संगठन हिदमा के PLGA बटालियन 1 के प्रभाव क्षेत्र में थे। यह पहली बार है जब बस्तर में माओवादी उग्रवाद के दो दशकों से अधिक समय बाद इन गांवों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा। पहले इन गांवों में माओवादी काले ध्वज लगाते थे, लेकिन अब तिरंगा लहराएगा।
सुरक्षा कैंपों का विस्तार और बदलता माहौल
बस्तर रेंज के IG पी सुंदरराज ने कहा, “यह पहली बार है कि इन गांवों में गणतंत्र दिवस मनाया जाएगा। यहां 14 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं – पांच बीजापुर और सुकमा जिलों में, और चार नारायणपुर में।” इनमें से कई गांव टर्रेम और पामेड़ क्षेत्र में स्थित हैं, जो कभी PLGA बटालियन 1 के नियंत्रण में थे, जिसे हिदमा कमांड करता था। अब इन क्षेत्रों में सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं, जैसे कि कोंडापल्ली, जिदपल्ली, वतेवागु और करूंगट्टा में।
माओवादी प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकलने की प्रक्रिया
IG ने कहा, “लोगों ने कभी यहां राष्ट्रीय ध्वज को फहरते हुए नहीं देखा।” 45 किलोमीटर लंबी टर्रेम-पामेड़ धुरी, जो तेलंगाना सीमा से सटी हुई है, पहले PLGA 1 द्वारा हावी थी, लेकिन अब यहां कई सुरक्षा कैंप स्थापित हो गए हैं। हालांकि सड़कें निर्माणाधीन हैं, फिर भी ये रास्ते इतने बन चुके हैं कि यहां कैंप स्थापित किए जा सकते हैं।
पुर्वर्ती क्षेत्र में माओवादी प्रभाव को तोड़ना
पिछले साल पुलिस ने माओवादियों के गढ़ में करारा प्रहार करते हुए पुर्वर्ती गांव में तिरंगा फहराया था, जो हिदमा का पैतृक गांव था। यह 30 से अधिक गांव, जो कभी “माओवादी गढ़” माने जाते थे, अब भारतीय ध्वज के सम्मान में गणतंत्र दिवस मनाएंगे।









