“प्रयागराज में द्वादश माधव परिक्रमा यात्रा का पुनः आरंभ और मंदिरों का कायाकल्प”

प्रयागराज, जिसे कुंभ नगरी भी कहा जाता है, अपनी धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।

प्रयागराज, जिसे कुंभ नगरी भी कहा जाता है, अपनी धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां विभिन्न धार्मिक परंपराएं और परिक्रमा प्रचलित रही हैं, जो अब फिर से शुरू की जा रही हैं। योगी सरकार की प्रेरणा से इनमें से एक प्रमुख परिक्रमा है द्वादश माधव की परिक्रमा यात्रा, जो देवोत्थान एकादशी से शुरू हुई है।

प्रयागराज में द्वादश माधव की परिक्रमा यात्रा की शुरुआत

प्रयागराज के पौराणिक मंदिरों में द्वादश माधव मंदिरों का विशेष महत्व है, और इन्हीं में से एक श्री वेणी माधव को प्रयागराज के नगर देवता के रूप में पूजा जाता है। द्वादश माधव परिक्रमा यात्रा की शुरुआत श्री अनंत माधव के मंदिर से हुई। यह यात्रा पांच दिनों की है, जिसमें सभी माधव मंदिरों में पूजा और आरती का आयोजन किया जाएगा। इस यात्रा में प्रमुख संतों और अखाड़ों के लोग भी शामिल हुए हैं।

महंत आदित्य नंद जी ने बताया कि यह परिक्रमा यात्रा श्री अनंत माधव से शुरू होकर श्री चक्र माधव मंदिर (अरैल) पर समाप्त होगी। लंबे समय से यह परिक्रमा बंद थी, लेकिन अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के नेतृत्व में यह फिर से शुरू हुई है, ठीक वैसे ही जैसे पहले प्रयागराज की पंचकोशी परिक्रमा यात्रा को पुनः शुरू किया गया था।

द्वादश माधव मंदिरों का कायाकल्प

प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र यहां के प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें द्वादश माधव मंदिर प्रमुख हैं। योगी सरकार इन मंदिरों का कायाकल्प कर रही है। इन मंदिरों को नया रूप देने के लिए 12.34 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इससे इन मंदिरों को श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए और भी आकर्षक बनाया जाएगा।

महंत अवधेश दास जी महराज ने बताया कि योगी सरकार ने इन पुराने मंदिरों को फिर से सुधारने और सुंदर बनाने का काम शुरू किया है। इन मंदिरों के सौंदर्यीकरण के लिए 22 लाख रुपये से अधिक की राशि दी गई है। इस काम में मंदिरों के प्रवेश द्वार, दीवारों पर चित्रकला (म्यूरल्स), सत्संग भवन, फ्लोरिंग, पानी की व्यवस्था, बाउंड्री वॉल और हरियाली को बेहतर बनाने का काम किया गया है। इस बदलाव से जर्जर हो चुके ये प्राचीन मंदिर अब फिर से अपने भव्य रूप में दिखाई देंगे।

इस प्रकार, द्वादश माधव परिक्रमा यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह इन पौराणिक मंदिरों को फिर से लोगों से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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