
रूस ने भारत को अपने Su-57E लड़ाकू विमान की बार-बार पेशकश की है, हालांकि भारत ने इस विमान में अब तक ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई है। रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (UAC) के CEO वादिम बडेखा ने एक बार फिर से भारत को इस अत्याधुनिक फाइटर जेट का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि यह विमान भारतीय वायुसेना की लंबी अवधि की जरूरतों को पूरा करने के लिए एकदम उपयुक्त है, खासकर इसकी लंबी सेवा जीवन, फ्लेक्सिबल डिजाइन और भविष्य की तकनीकों को ध्यान में रखते हुए।
Su-57E की लंबी सेवा जीवन और क्षमता
वादिम बडेखा के अनुसार, Su-57 फाइटर जेट को कम से कम 40 से 50 साल तक सेवा में बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मतलब है कि यह विमान कई दशकों तक हवाई युद्ध की तकनीकों में बदलाव के बावजूद उपयोगी रहेगा। Su-57 पहले से ही एक आधुनिक पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है, जो स्टील्थ क्षमता, स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक्स, और मजबूत सेंसर से लैस है। इसके अलावा, यह विमान कई मिशन को एक साथ अंजाम देने की क्षमता रखता है, जैसे हवा-से-हवा, हवा-से-जमीन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध।
RUSSIAN Su-57 की विशेषताएँ
Su-57 को रूस का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट माना जाता है। इसमें रडार को चकमा देने की क्षमता और सुपरक्रूज़ क्षमता है, यानी यह बिना आफ्टरबर्नर के सुपरसोनिक उड़ान भर सकता है। इसके एडवांस AESA रडार और मल्टी-स्पेक्ट्रम सेंसर दुश्मन के रडार को जाम करने और प्रभावी सैन्य संचालन में मदद करते हैं। यह विमान नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसका मतलब है कि यह दूसरे प्लेटफॉर्म्स के साथ डेटा शेयर करता है और ड्रोन के साथ मिलकर मिशन कर सकता है।
भविष्य की तकनीक और अपग्रेड करने की क्षमता
Su-57 का डिजाइन भविष्य की तकनीकों के अनुरूप अपग्रेड होने योग्य है, जिससे इसकी सर्विस लाइफ दशकों तक बढ़ाई जा सकती है। बडेखा ने कहा कि रूस पूरी तरह से नया छठी पीढ़ी का फाइटर बनाने का इंतजार करने की बजाय Su-57 को एक बेस प्लेटफॉर्म के तौर पर देख रहा है। समय के साथ इसमें नए सिस्टम जोड़े जा सकते हैं, जैसे बेहतर सेंसर, मजबूत इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर टूल्स, और बेहतर नेटवर्किंग। इसके साथ ही नए प्रोपल्शन आइडिया भी जोड़े जा सकते हैं।
Su-57 का भविष्य में मानव-रहित ड्रोन सिस्टम्स के साथ तालमेल
रूस का मानना है कि भविष्य की हवाई युद्ध रणनीतियों में Su-57 का अहम रोल मानव-रहित ड्रोन सिस्टम्स के साथ तालमेल में होगा। बडेखा के अनुसार, आने वाले समय में Su-57 एक “एयरबोर्न कमांड सेंटर” की तरह काम करेगा, जो एक साथ कई ड्रोन को कंट्रोल और गाइड कर सकेगा।
रूस की बार-बार Su-57E के लिए भारत को प्रस्ताव देने के बावजूद, भारत ने इस विमान में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। हालांकि, रूस का मानना है कि यह विमान भारतीय वायुसेना के लिए एक दीर्घकालिक समाधान हो सकता है और इसका इस्तेमाल आने वाले दशकों तक किया जा सकता है।









