Russia Ukraine War : यूक्रेन में फंसे छात्रों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई, छात्रों को निकालने के केंद्र के काम की सराहना की…

यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए किये गये प्रयास पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी किया कि हम आपके द्वारा उठाए गए कदमों पर सवाल नहीं उठा रहे, बल्कि सराहना करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह यूक्रेन में फसे छात्रों के मामले को लंबित रखेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी हाईकोर्ट को बताया जाए कि वह इस मामले में सुनवाई ना करें। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि छात्रो के माता पिता की परेशानी को देखते हुए केन्द्र सरकार सेंन्ट्रलाइज हेल्पलाइन पोर्टल शुरू करे और जानकारी साझा करे।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूक्रेन में फसे भरतीय छात्रों की स्तिथि पर चिंता जताई। मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने इतिहास से कोई सबक नहीं सीखा है जहां मानव जाति युद्ध के लिए लड़ रही है और लोगों को मार रही है और मैं जानता हूं कि बातचीत से विवाद को सुलझाया जा सकता है। दुर्भाग्य से इन मुद्दों में हमारी कोई भूमिका नहीं है।

सुनवाई के दौरान अटर्नी जनरल से यूक्रेन में फसी छात्रा फातिमा आहना कि याचिका पर जानकारी मांगी। अटर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि याचिका दाखिल करने वाली छात्रा फातिमा आहना रोमानिया पहुंच चुकी है, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के संपर्क में है,आज उसको भारत वापस लाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि युद्ध क्षेत्र में कितने भारतीय फसे हुए है। अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री खुद मामले की निगरानी कर रह रहे है लगातार बैठके भी कर रहे है। अब तक 17 हज़ार लोगो को यूक्रेन से निकला गया है, बाकी बचे हुए लोगो को बाहर निकाला जा रहा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता छात्रा फातिमा आहना के वकील एएम धर ने कहा कि सरकार ने तेजी से कदम उठाया है।

सुप्रीम कोर्ट में यूक्रेन के मामले में अन्य याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने कहा कि खरकीव में फसे भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने की मांग किया है क्योंकि की वहां से बॉर्डर बहुत दूर है, वहां फसे लोगो को सुरक्षित स्थान और ख़ाना मुहैया कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता विशाल तिवारी को फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा कि यह याचिका सिर्फ पब्लिसिटी के लिए लगाई है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा अगर आप ऐसे सेंसेटिव मामले में गंभीर होते तो आप बेवजह कि याचिकाएं दायर करते है। समाचार पत्रों कि खबर के आधार पर आप इस तरह के गंभीर मामले पर याचिका नहीं दायर कर सकते है। आप पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए।

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