
गुमला की सलीमा टेटे: अपनी मेहनत और संघर्ष से बनाई पहचान, अब प्रधानमंत्री के साथ बैठकर की लंच
गुमला: अकेले अभ्यास मैदान में मेहनत करने से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर मार्क लक्सन के साथ लंच तक, सलीमा टेटे की यात्रा संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है। भारतीय राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम की कप्तान, जो सिमडेगा की रहने वाली हैं, हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन के साथ लंच किया।
हॉकी सिमडेगा के अध्यक्ष मनोज कोंबेगी ने कहा, “यह हमारे सिमडेगा की स्टार एथलीट के लिए गर्व का क्षण है।” कोंबेगी वह व्यक्ति हैं जिन्होंने सलीमा को सिमडेगा सेंटर में प्रशिक्षण के लिए सिफारिश की थी।
मोदी के ध्यान में आई सलीमा की प्रतिभा
सलीमा की सफलता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान 2021 के टोक्यो ओलंपिक के दौरान खींचा, जब भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची थी। हालांकि टीम ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल नहीं कर पाई, लेकिन मोदी का व्यक्तिगत कॉल टीम के प्रति उनकी सराहना का प्रतीक था, जिसमें उन्होंने कहा था, “और सलीमा का तो क्या कहना!”
संघर्ष और मेहनत का प्रतीक: ‘फेरारी’ सलीमा
पूर्व मुख्य कोच स्जोर्ड मारीजने द्वारा ‘फेरारी’ कहे जाने वाली सलीमा की सफलता की राह आसान नहीं थी। दो साल तक उन्हें अपने जिले के हॉकी प्रशिक्षण केंद्र में प्रवेश पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। इस दौरान, वह अस्थायी आवास में रहीं और हर रविवार अकेले अभ्यास करती रहीं, अपने पिता द्वारा सप्ताह में एक बार लाए गए सामान से अपना खाना पकाती थीं।
शुरुआत से सफलता तक का सफर
सलीमा का जन्म 2001 में सिमडेगा के बड़कीछापर गांव में किसान सुलक्षन और सुबानी टेटे के घर हुआ था। उनकी प्रतिभा शुरुआती दिनों में ही सामने आ गई थी जब उन्होंने आरसी मिडल स्कूल, तुंदेगी में हॉकी खेली। उनका बड़ा कदम तब आया जब कोंबेगी ने उनके प्रदर्शन को देखा और उन्हें सिमडेगा के रिहायशी केंद्र में ट्रायल के लिए सिफारिश की। 2013 में, उन्हें एसएस गर्ल्स स्कूल, सिमडेगा में प्रवेश मिला, जहाँ कोच प्रतिभा बरवा ने उनकी विशिष्ट खेल शैली को निखारा।
युवाओं के लिए प्रेरणा: सलीमा टेटे की सफलता
2018 में, जब सलीमा ने Buenos Aires में Youth Olympics में भारत का नेतृत्व किया और सिल्वर मेडल दिलाया, तब उनकी नेतृत्व क्षमता का शानदार प्रदर्शन हुआ। हाल ही में, उन्होंने 2023 में रांची में Women’s Asian Champions Trophy में भारतीय टीम की कप्तानी की, जो उनके गृह राज्य में अंतरराष्ट्रीय हॉकी को लाने का महत्वपूर्ण अवसर था।
सलीमा टेटे का संघर्ष और सफलता की कहानी आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, विशेष रूप से उन युवाओं के लिए जो आदिवासी समुदायों से आते हैं। वह यह साबित करती हैं कि अगर मेहनत और संकल्प मजबूत हो, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता।









