सत्संग आयोजक, पुलिस प्रशासन या बाबा… हाथरस में 121 मौतों का जिम्मेदार कौन…?

क्या हाथरस में जो 100 से ज्यादा मौतें हुई हैं उनका गुनहगार वो बाबा और उसको छूट देने वाला जिला प्रसाशन नहीं है?

उत्तरप्रदेश के हाथरस से दिल को झकझोर देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। तस्वीरों में दर्द, पीड़ा, बदइंतजामी और अव्यवस्था है। सबसे चिंताजनक बात ये है कि इसमें हर तरफ लाशें ही लाशें हैं। खबर बेहद दुखद और शर्मशार कर देने वाली है। जिसने जिले के पुलिस और प्रसाशन पर सैकड़ों सवाल खड़े कर दिए हैं।

दरअसल, उत्तर प्रदेश में हाथरस के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलरई गांव में मंगलवार यानी 2 जुलाई को आयोजित एक सत्संग में भगदड़ मची। देखते ही देखते लाशों का अंबार लग गया। इस भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई और अभी ये संख्या बढ़ सकती है। कई लोग घायल भी हो गए, अस्पताल के बाहर लाशों के ढेर नजर आने लगे। हर तरफ बस रोते-बिलखते परिजन ही नजर आ रहे थें। खैर जब इस मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस-प्रशासन और सरकार जख्मों पर मरहम लगाने में जुट गई। शवों की पहचान की जा रही है। ये सभी लोग भोले बाबा का प्रवचन सुनने सत्संग में आए थे। अभी तक करीब 76 शवों की पहचान हुई है।

अधिकारियों के तहत एटा और हाथरस एक दूसरे से सटे हुए जिले हैं। ऐसे में सत्संग में एटा के लोग भी शामिल होने पहुंचे थे। इसके अलावा यहां आगरा से लेकर संभल, ललितपुर, अलीगढ़, बदायूं, कासगंज, मथुरा, औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुरर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से भी कई लोग सत्संग में पहुंचे थे।

मगर इस हादसे के बाद आखिर पुलिस प्रसाशन ने क्या एक्शन लिया। ये जानकार आपको भी हैरानी होगी अपने बड़े बड़े ac वाले रूम में बैठकर अधिकारीयों ने पूरा का पूरा आरोप सत्संग के आयोजकों और सेवादारों पर मड दिया और उनके नाम FIR दर्ज किया है। हालांकि, ये कोई नई बात नहीं है, अक्सर भगदड़ के नाम पर ऐसी हत्याओं का कारण बनने वाले ढोंगी बाबाओं पर कोई एक्शन नहीं होता। ऐसे बाबाओं के नाम बदल जाते हैं, चेहरे बदल जाते है, जगह बदल जाते है लेकिन आस्था के नाम पर हर बार ठीक इसी तरह लोगों को मौत के मुंह में भेजने की छूट इन बाबाओं को मिल जाती है?

सवाल है क्यों? बदइंतजामी और लापरवाही का ये डिस्काउंट कूपन इन लोगों को आखिर किसने दिया है? क्या हाथरस में जो 100 से ज्यादा मौतें हुई हैं उनका गुनहगार वो बाबा और उसको छूट देने वाला जिला प्रसाशन नहीं है? सवाल उठना तो लाजमी है कि आखिर बाबा और उनको छूट देने वाले पुलिस और जिला प्रसाशन पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

लोगों का कहना है कि पुलिस प्रशासन घटनास्थल पर बहुत बाद में पहुंचा। काफी देर तक घटनास्थल पर कोई राहत या बचाव कार्य शुरू नहीं हुआ था। हाथरस की घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग के पास इलाज के लिए पुख्ता इंतजाम नहीं थे। हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने इस बात से इनकार किया है।

सोचने वाली बात है कि ज्यादातर धार्मिक आयोजनों में ही भगदड़ क्यों होती है। इस खतरनाक ट्रेंड पर भारत जैसे आस्थावान लोगों के देश में कोई रोकटोक भी नहीं है। मगर अब इतनी बड़ी घटना घटित होने के बाद भी अगर धर्म का चोला ओढ़े ऐसे बाबाओं और उनके आयोजनों पर नकेल नहीं कसा गया तो ऐसी घटनाएं आगे भी देखने को मिल सकती हैं।

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