ध्वस्तीकरण से पहले इलाके में लगाए गए सिस्मोग्राफ, बतायेंगे कंपन की तीव्रता

कुछ देर बाद सुपरटेक ट्विन टावर जमीनदोज हो जाएगा. ध्वस्तीकरण का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. इसको लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई है. जानकारों का मानना है कि ध्वस्तीकरण के दौरान जो धमाका होगा जिससे संभव है कि नोएडा में कुछ कंपन महसूस हो. इसको लेकर बिलडिंग के आस पास भूकंप नापनें वाले यंत्र लगाए गए है

डेस्क: कुछ देर बाद सुपरटेक ट्विन टावर जमीनदोज हो जाएगा. ध्वस्तीकरण का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. इसको लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई है. जानकारों का मानना है कि ध्वस्तीकरण के दौरान जो धमाका होगा जिससे संभव है कि नोएडा में कुछ कंपन महसूस हो. इसको लेकर बिलडिंग के आस पास भूकंप नापनें वाले यंत्र लगाए गए है. जो कि ये तय करेंगे कि क्या कंपन हुआ या नही. यदि कंपन होती है तो इसकी तीव्रता क्या होगी.

करीब 3700 किलोग्राम विस्फोटक के उपयोग से इमारत को विध्वंस किया जाएगा. इतनें भारी मात्रा में पहली बार विस्फोटक पहली बार उपयोग किया जा रहा है. इस पूरे प्रकरण को विशेषज्ञों की निगरानी में किया जाएगा, जानकारों का मानना है कि इतनी भारी मात्रा में विस्फोटक का उपयोग आस पास के क्षेत्रों में कंपन महसूस करा सकता है. हालांकि नोएडा की सभी इमारतें भूकंप निरोधी है इससे इस ब्लास्ट का असर उनपर नही होगा.

ट्वीन टावर देश की पहली इतनी बड़ी इमारत है जिसे ध्वस्त किया जाना है. इससे पहले देश में अभी तक इतनी उंची किसी भी इमारत को ध्वस्त नहीं किया गया है. अब इसको लेकर तैयरियां पूरी कर ली गई है. इस ध्वस्तीकरण के लिए काफी तैयारियां करनी पड़ी है. क्यों कि इंसानों से लेकर पर्यावरण तक पर इसका खासा प्रभाव पड़नें वाला है. अब इससे निपटनें के लिए भी इससे संबंधित अधिकारियों को करना पड़ेगा. हम आपको अपने इस आर्टिकल में आपको बताने जा रहें हैं कि क्या प्रभाव पर्यावरण पर पड़ेगा और इससे बचनें के लिए किस प्रकार की तैयारियां की जानी चाहिए.

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