
उत्तर प्रदेश शासन ने मंगलवार को कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह की रिपोर्ट पर डिप्टी कलक्टर का निलंबन कर दिया है। ख़ुद इसकी पुष्टि कमिश्नर मुरादाबाद मंडल ने की है। आरोपी एसडीएम घनश्याम वर्मा पर आरोप लगा था कि उन्होंने मुरादाबाद के बिलारी में बतौर एसडीएम तैनाती के दौरान वहां के एक फर्नीचर कारोबारी के शोरूम से लाखों रुपए का फर्नीचर लिया था, जब फर्नीचर कारोबारी ने एसडीएम बिलारी से पेमेंट मांगा तो एसडीएम बिलारी ने फर्नीचर कारोबारी के शोरूम और घर को अवैध बताते हुए बुलडोजर भेज दिया।

कारोबारी ने इसकी शिकयत कमिश्नर आन्जनेय कुमार सिंह से की, जिसपर कमिश्नर के आदेश पर एडीएम सुरेंद्र सिंह ने मामले की जांच की थी। जांच में प्रथम दृष्टया एसडीएम दोषी पाए गए। इस पर डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने एसडीएम बिलारी को पद से हटा दिया था। इस मामले में कमिश्नर ने शासन को रिपोर्ट भेजकर एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी, मंगलवार शाम को शासन ने एसडीएम को सस्पेंड कर दिया।
जांच करने वाले एडीएम की जांच रिपोर्ट के मुताबिक जिस फर्नीचर कारोबारी के घर पर एसडीएम ने बुलडोजर चलवाया था। वो बिलारी नगर पालिका क्षेत्र में आता है, जांच रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि बिलारी पालिका क्षेत्र में एसडीएम को कब्जा हटवाने के लिए बुलडोजर चलवाने की शक्ति नहीं थी। यह शक्ति नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी को है। लेकिन फर्नीचर कारोबारी के पैसे मांगने से नाराज़ एसडीएम ने कारोबारी को सबक सिखाने के लिए बिलारी पालिका की नियमावली को नज़र अंदाज़ कर सीधे नोटिस दिया और बाद में उसके घर बुलडोजर भी चलवा दिया।

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि बिलारी ईओ का चार्ज भी एसडीएम घनश्याम वर्मा के पास ही था, लेकिन इसी दौरान उन्होंने नोटिस और ध्वस्तीकरण का ऑर्डर बतौर एसडीएम बिलारी के हस्ताक्षर से जारी किया था, जो अवैध था।
बिलारी में संबंधित तालाब की भूमि श्रेणी तीन में काश्तकार के नाम पर दर्ज है। एसडीएम की जिम्मेदारी थी कि वह तालाब की भूमि से काश्तकार का नाम खारिज करके उसे सरकार के नाम दर्ज करते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। शिकायत करने वाले फर्नीचर कारोबारी जाहिद हसन ने भी तालाब की 19.25 वर्ग मीटर भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है, एसडीएम ने यह कब्जा 84 वर्ग मीटर भूमि पर बताया था, जबकि तालाब की जिस भूमि पर फर्नीचर कारोबारी का कब्जा है, वह अभी तक श्रेणी तीन में काश्तकार के नाम पर ही दर्ज है, यह एसडीएम की लापरवाही है कि उन्होंने तालाब की भूमि से काश्तकार का नाम कभी खारिज ही नहीं किया था।
एसडीएम पर आरोप था कि उनके द्वारा फर्नीचर कारोबारी जाहिद हसन के शोरूम से 2.67 लाख रुपए का फर्नीचर लेने और बाद में उसका पेमेंट नहीं दिया गया है। जांच के दौरान फर्नीचर कारोबारी और एसडीएम ने अलग – अलग बिल भी जांच अधिकारी के सामने पेश किए हैं। 10 जुलाई को जाहिद ने कमिश्नर आन्जनेय सिंह से शिकायत की । कमिश्नर ने डीएम को एडीएम स्तर से जांच कराने के आदेश दिए ।
जांच अधिकारी एडीएम प्रशासन सुरेंद्र सिंह को जब एसडीएम बिलारी पर लगे आरोपों की जांच सौंपी गई थी, तब एडीएम ने एसडीएम को फोन करके कहा था कि मामले में जांच पूरी होने तक कोई एक्शन न लें, लेकिन एडीएम के मना करने के बावजूद एसडीएम ने 12 जुलाई को फर्नीचार कारोबारी के परिसर पर बुलडोजर चलवा दिया था।
अब फर्नीचर कारोबारी के मामले में अपने खिलाफ जांच शुरू होने के बावजूद जब एसडीएम बिलारी ने अपने पद का नाजायज इस्तेमाल करते हुए शिकायतकर्ता का घर गिरवाने के लिए बुलडोजर भेजा, तो इस बात से कमिश्नर नराज हो गए। सूत्रों का कहना है कि कमिश्नर मुरादाबाद मंडल ने इस मामले की एक रिपोर्ट शासन को भेज दी। उसी जांच रिपोर्ट के आधार पर उत्तर प्रदेश शासन ने एसडीएम रहे घनश्याम वर्मा को निलंबित कर दिया है।
वही अब इस मामले में आरोपी एसडीएम घनश्याम सिंह के खिलाफ जांच के बाद निलंबन की कार्यवाही होने पर फर्नीचर कारोबारी जावेद हसन में मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर के साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार जताया है कि उन्होंने निष्पक्ष कार्रवाई कराते हुए एक अच्छा संदेश दिया है।