देवरिया से शशांक मणि त्रिपाठी, पिता ने यंहा से खोला था BJP का खाता, बदलता रहा मूड, पढ़े पूरी खबर…

लोकसभा चुनाव 2024 में लेकर भाजपा ने इस बार भी देवरिया से अपनी प्रत्याशी बदल दिया है. जहां सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काट कर इस बार भाजपा को पहली बार जीत दिलाने वाले श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी पर भरोसा जताया है.

लेखक- मनीष कुमार मिश्र

Lok Sabha Election 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 में लेकर भाजपा ने इस बार भी देवरिया से अपनी प्रत्याशी बदल दिया है. जहां सांसद रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काट कर इस बार भाजपा को पहली बार जीत दिलाने वाले श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र शशांक मणि त्रिपाठी पर भरोसा जताया है. वही कांग्रेस-सपा गठबंधन से अखिलेश प्रताप सिंह चुनाव मैदान में हैं. बसपा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में इस बार की लड़ाई भाजपा व कांग्रेस गठबंधन के बीच होती नजर आ रही है. यहां सवर्ण मतदाता हमेशा से ही निर्णायक भूमिका में रहे हैं.

आपको बता दें कि यूपी बिहार के बार्डर पर स्थित देवरिया लोकसभा सीट सोशलिस्टों और कांग्रेसियों की गढ़ मानी जाती है. 90 के दशक में मंडल और कमंडल की टकराहट के बाद यहां से कांग्रेस का सफाया हो गया. ब्राह्मण बाहुल्य देवरिया लोकसभा का चुनावी मिजाज इस कदर बदल गया है कि अब यहां लड़ाई भाजपा और सपा के बीच ही सिमटकर रह गई है. वही भाजपा पहली बार यहां 1996 में चुनाव जीती थी. एक बार बसपा को भी जीत मिली है वही पिछले दो चुनावों से भाजपा इस सीट पर काबिज है. यहां की राजनीति बेरोज़गारी, पलायन और बंद चीनी मिलों को चालू कराने की हैं. 2024 की तस्वीर भी कुछ ऐसी ही बनतीं नजर आ रही है.

ऐसे में देवरिया जिला सन् 1946 मे बना पहले गोरखपुर जिले में हुआ करता था लेकिन गोरखपुर के कुछ हिस्सों को लेकर य़ह जिला बना देवरिया पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक ऐसा जिला है जहां का मतदाता सियासत के पेंचोखम से न सिर्फ वाकिफ है बल्कि सियासत में खूब दिलचस्पी भी लेता है. इस जिले की एक खासियत ऐसी है कि यहां राजनीतिक दलों को बारी-बारी से मौका मिलता रहा है. 90 के दशक से पहले यहां कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था लेकिन मंडल-कमंडल के उभार के बाद लड़ाई समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच ही सिमट कर रह जाती है। मतदाता, हर चुनाव में अपना मूड बदलते रहते हैं. कभी किसी दल को मौका दिया तो कभी किसी और दल को जीत का मजा चखाया यहां के वोटर काफी जागरुक हैं.

1984 के बाद कांग्रेस का हो गया सफाया

इस सीट का इतिहास देखें तो यहां कांग्रेस सर्वाधिक 5 बार चुनाव जीती. 1951 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस के विश्वनाथ राय यहां से पहले सांसद चुने गए थे. वही आखिरी बार 1984 में काग्रेस की जीत हुई थी. 90 के दशक में मंडल और कमंडल की लडाई में कांग्रेस की उम्मीदे टूट गई और यहां की लड़ाई भाजपा सपा के बीच सिमट गई है. 1984 की बात करे तो कांग्रेस को आखिरी बार यहां से जीत मिली थी और राजमंगल पाण्डेय चुनाव जीते थे. उसके बाद यह सभी चुनावों में कांग्रेस तीसरे स्थान पर ही रही 1991 में जनता दल के मोहन सिंह यहां से सांसद बने थे.

1996 में पहली बार भाजपा जीती थी चुनाव

1992 में लाल कृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई राम रथ यात्रा के बाद प्रदेश में कमंडल की लहर आई तो देवरिया भी भाजपामय में हो गया 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार यहां से भाजपा ने अपना परचम लहराया और लेफ्टिनेंट जनरल श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी चुनाव जीत कर सांसद बने 1998 के चुनाव में सपा ने यहां से जीत हासिल की। वही 1999 में भाजपा और 2004 में सपा ने जीत दर्ज किया.

2009 में खुला था बसपा का खाता

वहीं 2009 के चुनाव में पहली बार यहां बसपा का खाता खुला और गोरख जायसवाल सांसद चुने गए. 2009 के चुनाव में धनबल का खुला प्रदर्शन हुआ था और गोरख जायसवाल ने मोहन सिंह और जनरल श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी जैसे नेताओं को हराकर अप्रत्याशित जीत हासिल की थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी मैजिक की धूम मची और देवरिया में भाजपा के कद्दावर नेता कलराज मिश्र सांसद चुने गए. वही 2019 के चुनाव में भाजपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी पर दांव लगाया और चुनाव जीते इस बार भाजपा ने रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काट कर पूर्व सांसद जनरल श्री प्रकाशमणि त्रिपाठी के बेटे शशांक मणि त्रिपाठी को मैदान में उतारा है.

सामान्य वर्ग के वोटर है निर्णायक

लोकसभा 2024 में सपा कांग्रेस गठबंधन में यह सीट कांग्रेस को मिली है। कांग्रेस ने यहां से पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है अखिलेश प्रताप सिंह देवरिया जिले की रूद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक भी रहे हैं। देवरिया लोकसभा सीट पर सामान्य आबादी ही निर्णायक होती है। सामान्य वर्ग के वोटरों की संख्या अधिक है। आजादी के बाद से अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं। सभी चुनावों में यहां से सामान्य वर्ग के लोग ही सांसद चुने गए हैं।

देवरिया से सबको दलों को मिला मौका

देवरिया संसदीय सीट से सभी प्रमुख दलों ने जीत का मजा चखा है. जहां 1951 में कांग्रेस के विश्वनाथ राय, सरजू प्रसाद मिश्र, 1957 में सोशलिस्ट पार्टी के रामजी वर्मा, 1962, 1967, 1971 में फिर कांग्रेस से विश्वनाथ राय, 1977 में जनता पार्टी के उग्रसेन सिंह, 1980 में कांग्रेस के रामायण राय, 1984 में कांग्रेस के राजमंगल पाण्डेय,1989 में जनता दल से राजमंगल पाण्डेय,1991 में सपा के मोहन सिंह, 1996 में भाजपा के श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी, 1998 में सपा के मोहन सिंह, 1999 में फिर भाजपा के श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी, 2004 में सपा के मोहन सिंह, 2009 में बसपा के गोरख प्रसाद जायसवाल, 2014 में भाजपा के कलराज मिश्र व 2019 में भाजपा के रमापति राम त्रिपाठी को इसी जिले के वोटरों ने सांसद बनाया.

तीन -चुनाव पर एक नजर

  • 2009–गोरख प्रसाद जायसवाल (बसपा ) 219889 वोट पाकर विजयी हुए थे.
  • श्री प्रकाश मणि त्रिपाठी- (भाजपा) -178110 से पराजित
  • मोहन सिंह (सपा ) से 151389 वोट पाकर पराजित हुए थे.

*2014 का चुनाव परिणाम

  • कलराज मिश्र (भाजपा )-496500 विजयी हुए थे.
  • नियाज अहमद (बसपा)- 231114 पराजित
  • बालेश्वर यादव (सपा)–150852 पराजित

*2019 का चुनाव परिणाम

  • रमापति राम त्रिपाठी (भाजपा)- 580644 विजयी हुए थे.
  • बिनोद कुमार जायसवाल (बसपा)- 330713 पराजित
  • नियाज अहमद (कांग्रेस)- 51056 पराजित

देवरिया सीट पर मुख्य चुनावी मुद्दे—

  • 1 -चीनी मिल चालू करना
  • 2-कृषि विश्वविद्यालय शुरू करने की मांग जोरों पर है
  • 3-‘महंगाई
  • 4–भ्रष्टाचार
  • 5–पुरानी पेंशन मुद्दा भी रहेगा
  • 6–बेरोजगारी
  • 8–देवरिया में बाईपास की मांग

देवरिया लोकसभा सीट पर एक नजर

  • कुल मतदाता—…1729583
  • पुरुष मतदाता-954367
  • महिला मतदाता-796570
  • थर्ड जेंडर-96
  • कुल मतदान केंद्र–670
  • मतदेय स्थल–1098

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