श्री कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद: कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज की, हिंदू पक्ष की याचिका पर होगी सुनवाई

विवादित परिसर का अयोध्या के राम मंदिर और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की गई है।

मथुरा श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट से हिंदू पक्ष को मिली बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद को लेकर दाखिल हिंदू पक्ष की याचिकाओं को पोषणीय माना है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दिया। जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया। 

बता दें कि इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने 31 मई को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था। हाईकोर्ट के फैसले से यह तय हो गया है कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं। मुस्लिम पक्ष की आपत्ति खारिज होने के बाद हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर आगे सुनवाई होगी। अब अयोध्या विवाद की तर्ज पर श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद की हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। हिंदू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई 18 याचिकाओं में मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को श्री कृष्ण जन्मस्थान बताकर उसे हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई है। विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा अर्चना की अनुमति दिए जाने की मांग की गई थी। 

विवादित परिसर का अयोध्या के राम मंदिर और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की गई है। अयोध्या विवाद की तर्ज पर इलाहाबाद हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई सीधे तौर पर कर रहा है। मथुरा की जिला अदालत में दाखिल की गई याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए अपने पास मंगा लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट, दाखिल की गई 18 में से 15 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रहा है। तीन याचिकाओं को अलग कर दिया गया था। 

शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत आपत्ति दाखिल कर पोषणीयता को चुनौती दी थी। इसको लेकर मुस्लिम पक्ष की तरफ से कई दलीलें पेश की गई। मुस्लिम पक्ष ने मुख्य रूप से प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट, वक्फ एक्ट, लिमिटेशन एक्ट और स्पेसिफिक पजेशन रिलीफ एक्ट का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिकाओं को खारिज किए जाने की दलील पेश की थी। लेकिन अदालत में मुस्लिम पक्ष की दलीलें खारिज करते हुए हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल याचिकाओं को पोषणीय माना है।

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