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“बेबी, तू आया नहीं लेने…: शहीद सिद्धार्थ यादव और सानिया की अधूरी प्रेम कहानी

IAF Jaguar Fighter Jet Crashes: फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव, जिन्होंने अपनी जान वायुसेना के विमान दुर्घटना में गंवाई, की सगाई हाल ही में हुई थी और उनकी शादी के सपने अधूरे रह गए। उनकी मंगेतर सानिया की चीखें और दुख से भरे शब्दों ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया।

Siddharth Yadav Pilot: तिरंगे में लिपटा हुआ शरीर, कॉफिन में बंद था। चारों ओर चीख- पुकार मची हुई थी। इसी दौरान पार्थिव शरीर के पास खड़ी एक युवती लगातार रोते हुए यह शब्द कह रही थी, “बेबी, तू आया नहीं लेने, तूने कहा था, तू आएगा, बेबी, तू आया नहीं लेने…”। यह दृश्य दिल को चीर देने वाला था, और यह सुनकर किसी के भी आंखों से आंसू नहीं रुक पाते थे। वह युवती थी सानिया, जिनकी सगाई 23 मार्च को सिद्धार्थ यादव के साथ हुई थी।

तू मुझे लेने नहीं आया बेबी…

सिद्धार्थ, जो गुजरात में जगुआर लड़ाकू विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने से शहीद हो गए थे। जब उनका पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो पूरा गांव उन्हें अंतिम विदाई देने उमड़ पड़ा। सानिया की चीखों ने हर किसी को गहरे दुख में डाल दिया। वह सिद्धार्थ के ताबूत से लिपटी हुई थीं, उन्हें बार-बार हिला रही थीं और अपने सीने पर हाथ मार रही थीं। वह बार-बार कह रही थीं, “तूने कहा था, तू आएगा, तू मुझे लेने नहीं आया बेबी…”। ताबूत के पास रखी सिद्धार्थ की तस्वीर को उठाकर सानिया उसे सीने से लगा लेतीं और कभी तस्वीर पर हाथ फेरतीं। उनकी आंखों से गिरते आंसू तस्वीर पर गिरकर जैसे उसमें समा जाते थे। यह दृश्य सभी को गहरे भावनात्मक झटके में डाल रहा था, और हर किसी की आंखों में आंसू थे।

मुझसे ज्यादा बदनसीब लड़की कौन होगी?

सानिया का दर्द देखकर वहां खड़ा हर व्यक्ति भावुक हो गया। वह बार-बार कह रही थीं, “मुझसे ज्यादा बदनसीब लड़की कौन होगी? मेरा दुख कोई नहीं समझ सकता…”। कभी वह सिद्धार्थ के पार्थिव शरीर को देखतीं, तो कभी आस-पास खड़े लोगों को। ऐसा लग रहा था कि जैसे वह कुछ समय के लिए पूरी तरह से अपनी सुध-बुध खो चुकी थीं। सिद्धार्थ और सानिया घंटों फोन पर बात करते थे, शादी की योजना बनाते थे। वे सोचते थे कि शादी कैसी होगी, प्री-वेडिंग शूट कहां होगा, हनीमून कहां जाएंगे, और शादी की तैयारियां कैसे होंगी। सानिया बार-बार उन पलों को याद कर रही थीं।

वायुसेना स्टेशन के पास विमान दुर्घटनाग्रस्त

फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव का शुक्रवार को हरियाणा के रेवाड़ी जिले के माजरा भालखी गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। सिद्धार्थ (28) का निधन बुधवार रात जामनगर वायुसेना स्टेशन के पास विमान दुर्घटना में हुआ था।

एक पायलट बच गया…

सिद्धार्थ के परिवार पर गहरे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उनका परिवार शोक में डूबा हुआ था, और वे अपने बहादुर बेटे को याद कर रहे थे। सिद्धार्थ के पिता सुशील यादव ने बताया कि उन्हें गुरुवार रात करीब 11 बजे कमान अधिकारी का फोन आया था, जिसमें बताया गया कि एक विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ है, और एक पायलट बच गया है, जबकि दूसरा पायलट, यानी उनका बेटा, शहीद हो गया है।

भारतीय सेना में लंबा इतिहास

सानिया और सिद्धार्थ की सगाई 23 मार्च को हुई थी, और उनकी शादी इसी साल 2 नवंबर को होने वाली थी। सिद्धार्थ के परिवार का भारतीय सेना में लंबा इतिहास था। उनके पिता सुशील यादव भारतीय वायुसेना से रिटायर हो चुके थे, और उनके दादा-परेदादा भी सेना में थे। सिद्धार्थ ने जनवरी 2016 में एनडीए जॉइन किया था।

फूलों की पंखुड़ियां बरसाईं

सिद्धार्थ के पार्थिव शरीर को रेवाड़ी लाया गया और फिर उनके पैतृक गांव भेजा गया, जहां उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए सैकड़ों लोग उमड़ पड़े। शहीद पायलट को सम्मान देने के लिए पूर्व सैनिकों और अन्य लोगों ने तिरंगा लेकर श्रद्धांजलि अर्पित की। जब उनका पार्थिव शरीर सैन्य वाहन में गुजर रहा था, तो लोगों ने उस पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाईं। भारतीय वायुसेना के जवानों ने शहीद पायलट को बंदूकों की सलामी दी।

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