कफ सिरप सिंडिकेट के स्लीपर सेल हुए गिरफ्तार, सिंडिकेट का कारनामा आया सामने, फर्जी फर्म के नाम जानिए कैसे होती थी तस्करी…

वाराणसी। देश में चर्चित नशे के कफ सिरप मामले में वाराणसी की SIT टीम ने जांच के दौरान कई अहम साक्ष्य हाथ लगा है। सोमवार को इसी क्रम में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस ने कफ सिरप सिंडिकेट से जुड़े फर्जी फर्म के दो संचालकों को गिरफ्तार किया है। सिंडिकेट के इन दो मेंबर विशाल जायसवाल और बादल आर्या ने पुलिस और मीडिया के सामने कई चौकाने वाले खुलासा करते हुए सिंडिकेट द्वारा कैसे कफ सिरप की तस्करी की जाती थी, इसकी पूरी दस्ता बताया। पुलिस का दावा है कि विशाल जायसवाल और बादल आर्या के फर्म के नाम पर करीब 5 लाख से अधिक कफ सिरप की शीशी की तस्करी कर 7 करोड़ रुपए का कारोबार किया गया। सूत्रों के अनुसार मामले में यह भी सामने आया कि विशाल जायसवाल और बादल आर्या सिंडिकेट में एक स्लीपर सेल की तरह काम करते थे, जिन्हें कफ सिरप की बिक्री और खरीद की जानकारी तो नहीं, लेकिन उनके फर्म के नाम पर की जा रही कफ सिरप की तस्करी से अर्जित पैसे का एक हिस्सा इनको सिंडिकेट मेंबर के द्वारा दिया जाता था।

फर्जी दस्तावेज से खोला गया फर्म, संचालकों को मिलते थे महीने में पैसे

वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट काशी जोन के डीसीपी गौरव बंसवाल ने बताया कि गिरफ्तार हुआ विशाल जायसवाल ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। विशाल जायसवाल के हरिओम फार्मा को सिंडिकेट का सरगना शुभम जायसवाल ने 4 लाख 18 हजार शीशी कफ सिरप बेची थी, जबकि बादल आर्या 12वीं की पढ़ाई किया है, जिसके काल भैरव ट्रेडर्स को करीब 1 लाख 23 हजार कफ सिरप बेची गई। दोनों फर्म पर शुभम जायसवाल के शैली ट्रेडर्स से कफ सिरप बेचे गए लेकिन वह कफ सिरप केवल दस्तावेजों में बेचे गए और कफ सिरप बनारस के फर्म पर आने के बजाए कही और भेजा गया। जो बिल इनके फर्म के नाम पर होता, उसके एवज में विशाल जायसवाल और बादल आर्या को 30 से 40 हजार रुपए महीने शुभम जायसवाल सिंडिकेट मेंबर दिवेश जायसवाल से भिजवाता था।

SIT की जांच में सवालों के घेरे में ड्रग अधिकारी, फर्जी दस्तावेज से कैसे मिले लाइसेंस

वाराणसी में SIT के अध्यक्ष सरवण टी. ने बताया कि वाराणसी में गिरफ्तार विशाल जायसवाल और बादल आर्या के फर्म कूट रचित दस्तावेज से खोले गए। आरोपियों से पूछताछ में जानकारी मिली कि दिवेश जायसवाल नामक व्यक्ति जो गिरफ्तार हुए आरोपी विशाल जायसवाल के मामा का लड़का है। उसने ही विशाल और बादल आर्या को फर्जी दस्तावेज तैयार करवाकर लाइसेंस दिलवाने में मदद की और शुभम जायसवाल के सिंडिकेट से इनके फर्म को जोड़ा। फर्जी दस्तावेज के आधार पर खोले गए फर्म के लाइसेंस को लेकर भी बड़े सवाल ड्रग विभाग के अधिकारियों पर खड़े होने लगे है। आरोपियों के अनुसार दिवेश जायसवाल ने सब सेटिंग किया था और लाइसेंस के लिए अप्लाई करने के बाद कुछ ड्रग विभाग के लोग आकर उनके फर्म की भी जांच की थी। वही शुभम जायसवाल को लेकर SIT के अध्यक्ष ने बताया कि अभी तक की जांच में शुभम जायसवाल देश से बाहर है, जो वीडियो उसने जारी किया वह सिर्फ जांच को भ्रमित करने के लिए जारी किया गया है। हालांकि जांच में उसके द्वारा कही जा रही बातों को शामिल किया जा सकता है। बता दें कि कफ सिरप मामले में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के हाथ तीन आरोपी लगे है। जबकि लखनऊ पुलिस और सोनभद्र पुलिस ने अमित सिंह टाटा, आलोक सिंह और शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद जायसवाल को गिरफ्तार किया है।

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