Son of Sardaar 2 Movie Review: अजय देवगन की फिल्म सनऑफ का दूसरा पार्ट पहले से कितना दमदार, यहां जानिए

इस बार निर्देशन की बागडोर पंजाबी सिनेमा के जाने-माने निर्देशक विजय कुमार अरोड़ा ने संभाली है। फिल्म देसी हास्य, इमोशंस और पंजाबी फ्लेवर से भरपूर है, लेकिन इस बार यह बिना किसी रीमेक फॉर्मूले के आई है।

Son of Sardaar 2 Movie Review: अजय देवगन एक बार फिर जस्सी रंधावा के किरदार में लौटे हैं ‘सन ऑफ सरदार 2’ के साथ, जो 2012 की फिल्म ‘सन ऑफ सरदार’ का सीक्वल है। इस बार निर्देशन की बागडोर पंजाबी सिनेमा के जाने-माने निर्देशक विजय कुमार अरोड़ा ने संभाली है। फिल्म देसी हास्य, इमोशंस और पंजाबी फ्लेवर से भरपूर है, लेकिन इस बार यह बिना किसी रीमेक फॉर्मूले के आई है।

कहानी में कितना दम?

कहानी जस्सी (अजय देवगन) की है, जो विदेश में अपनी पत्नी डिंपल (नीरू बाजवा) से मिलने जाता है। मुश्किल से वीजा मिलता है, लेकिन दिल जल्दी ही टूटता है। इसी दौरान उसकी मुलाकात होती है राबिया (मृणाल ठाकुर) से, जो पाकिस्तान से है और मुश्किल में है। जस्सी उसकी मदद करता है, और यहीं से शुरू होता है झूठ, गलतफहमी और कॉमेडी का सिलसिला।

हालांकि, कहानी में ताजगी की कमी है। 2012 वाला जस्सी अब पहले जैसा नहीं लगता। फिल्म का फोकस स्टार पावर पर ज्यादा और स्क्रिप्ट पर कम रहा है।

एक्टिंग और किरदार

अजय देवगन ने अपनी पूरी कोशिश की है, लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें वो मौका नहीं देती जिसकी उनसे उम्मीद की जाती है।
मृणाल ठाकुर ने ठीक-ठाक परफॉर्म किया है, लेकिन उनके किरदार को गहराई नहीं दी गई।
रवि किशन, जिन्होंने राजा का रोल निभाया है, अपनी दमदार कॉमिक टाइमिंग से सब पर भारी पड़ते हैं।
चंकी पांडे की कॉमेडी थकी हुई लगती है, और उनकी मौजूदगी उतनी प्रभावशाली नहीं है।
मुकुल देव और दीपक डोबरियाल ने अपने हिस्से बखूबी निभाए हैं।

निर्देशन में कौन?

विजय कुमार अरोड़ा का निर्देशन पंजाबी फिल्मों में मजबूत रहा है, लेकिन हिंदी में वह पकड़ नहीं बना पाए। स्क्रिप्ट बिखरी हुई है और अजय देवगन जैसे स्टार के टैलेंट का भरपूर उपयोग नहीं किया गया।

कुल मिलाकर

सन ऑफ सरदार 2‘ एक हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म है, लेकिन यह उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती। रवि किशन फिल्म के हाईलाइट जरूर हैं, लेकिन बाकी सब कुछ औसत नजर आता है।

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