
National Sports Policy 2025. भारत की नई राष्ट्रीय खेल नीति 2025 (National Sports Policy 2025) को लेकर खेल चिकित्सा विशेषज्ञों और विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। दशकों से खेलों में खिलाड़ियों की शारीरिक और मानसिक चुनौतियों को नज़दीक से समझने वाले स्पोर्ट्स मेडिसिन विशेषज्ञों के अनुसार, यह केवल एक नीति नहीं, बल्कि खेल विकास की सोच में क्रांतिकारी बदलाव (paradigm shift) है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह पहली बार है जब भारत के एथलीट विकास की प्रक्रिया में विज्ञान, तकनीक और साक्ष्य-आधारित चिकित्सा को केंद्रीय भूमिका दी जा रही है। नीति का फोकस केवल प्रदर्शन की अपेक्षा पर नहीं, बल्कि उसे समर्थन देने वाले वैज्ञानिक तंत्र पर है।
प्रमुख पहलू
- इंजरी प्रिवेंशन और अर्ली इंटरवेंशन: खिलाड़ियों की दीर्घकालिकता के लिए बेहद जरूरी
- बायोमैकेनिक्स और परफॉर्मेंस एनालिटिक्स: तकनीक और ट्रेनिंग को बेहतर करने के लिए
- न्यूट्रिशन और रिकवरी साइंस: जहां छोटे-छोटे फायदे भी पदक जीतने या हारने में निर्णायक साबित हो सकते हैं
- मेंटल हेल्थ और कॉग्निटिव कंडीशनिंग: आज के हाई-प्रेशर स्पोर्ट्स माहौल में अनिवार्य
नीति की दिशा
नई नीति में देशभर के प्रमुख प्रशिक्षण केंद्रों पर स्पोर्ट्स साइंस और स्पोर्ट्स मेडिसिन से जुड़ी सुविधाएं विकसित और अपग्रेड करने का लक्ष्य तय किया गया है। भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) पहले से ही नेशनल सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस और रीजनल सेंटर्स पर रिकवरी इक्विपमेंट और साइंटिफिक टूल्स को स्थापित कर रहा है, जिसमें National Centre for Sports Science & Research (NCSSR) की भूमिका भी अहम है।
विशेषज्ञ की राय
एक वरिष्ठ खेल चिकित्सक ने कहा, यह नीति प्रदर्शन को केवल लक्ष्य नहीं मानती, बल्कि उसे समर्थन देने वाले सिस्टम को अनिवार्य आधार बनाती है। यह भारत को लगातार वैश्विक खेल मंच पर टिके रहने की दिशा में ले जाएगी।








