
आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के एक फतवे पर केंद्र की मोदी सरकार ने सख्त नाराजगी जताई है।। जिसमे केंद्र सरकार ने साफ़ तौर पर कहा है कि राज्य वक्फ बोर्ड अहमदिया मुसलमानों को ‘काफिर’ या गैर-मुस्लिम नहीं कह सकता। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कहा कि उनकी मस्जिदों को भी गैर-वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार भी किसी भी राज्य के वक्फ बोर्ड को नहीं है।
केंद्र सरकार ने इसे घृणा फैलाने वाली हरकत बताते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि किस ‘आधार’ और ‘अधिकार’ से यह फतवा जारी किया गया है। अहमदिया मुस्लिमों ने इसके खिलाफ केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय से शिकायत की थी। वही आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड द्वारा गैरकानूनी तरीके से अहमदिया समाज को ‘काफिर’ बताये जाने पर केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सख्त रवैया अपनाया है और इस पर आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई है।
केंद्र ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
इस मुद्दे पर मुद्दे पर शिकायत मिलते ही केन्द्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय हरकत में आया और इस चौंकाने वाले मामले में सख्त रवैया अपनाते हुए आंध्र प्रदेश सरकार को पत्र लिखा और साथ में अधिकारियों को आगाह किया है कि इस मामले का पूरे देश का माहौल बिगड़ सकता है। केंद्र सरकार ने राज्य को ये भी बताया है कि वक्फ एक्ट 1995, मुख्य रूप से भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन के लिए एक कानून है। राज्य वक्फ बोर्डों को इस प्रकार की कोई घोषणा करने के लिए कोई शक्ति नहीं देता है।
कौन हैं अहमदिया मुस्लिम ?
बता दें कि पंजाब के लुधियाना जिले से 1889 में अहमदी आंदोलन से इस समाज की शुरूआत हुई थी। मिर्जा गुलाम अहमद के समर्थक को अहमदिया मुसलमान माना जाता है। खुद को पैगंबर मोहम्मद का अनुयायी और अल्लाह की ओर से चुना गया मसीहा बताते थे। मिर्जा अहमद ने 1889 में इस्लाम के अंदर पुनरुत्थान आंदोलन की शुरूआत की थी। इसे अहमदी आंदोलन और इससे जुड़े मुस्लिमों को अहमदिया बोला गया। एक दावे के मुताबिक आज करीब 200 देशों में अहमदिया मुसलमानों की मौजूदगी है।









