पंजाब सरकार के प्रयासों से पराली प्रदूषण में आई कमी, 77 फीसदी की गिरावट दर्ज

पंजाब सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए 65 किसानों की पहचान की है, ₹1.85 लाख का जुर्माना लगाया है और 6 एफआईआर दर्ज की हैं।

आम आदमी पार्टी की सरकार चाहे दिल्ली हो या पंजाब, शिक्षा और सेहत जैसे जानकल्याण के अहम मुद्दे पर काम करना है इनकी पहचान बन गई है। CM भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए भी ठोस कदम उठा रही है। पंजाब में AAP सरकार के कार्यकाल में इस साल पराली जलाने की समस्या को खत्म करने के लिए विशेष प्रबंध किए गए है, जिनका असर धरातल पर भी दिख रहा है।

CM भगवंत मान के नेतृत्व से पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 77 प्रतिशत कम हो गई है। इससे दिल्ली में हर साल सर्दियों के समय होने वाले वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी। पंजाब में AAP सरकार के जागरूकता प्रयासों के कारण किसान फसलों का सही तरीके से प्रबंधन करने में सक्षम हुए हैं।

NASA के सैटेलाइट डेटा के अनुसार पंजाब में पराली जलाने में 77% की कमी दर्ज की गई है। 6 अक्टूबर 2023 तक सिर्फ 196 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 845 मामले सामने आए थे। 6 अक्टूबर को केवल तीन नए मामले दर्ज किए गए, जो 2022 में इसी दिन दर्ज किए गए 93 मामलों से काफी कम हैं।

पंजाब सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए 65 किसानों की पहचान की है, ₹1.85 लाख का जुर्माना लगाया है और 6 एफआईआर दर्ज की हैं। अब तक ₹1.70 लाख की वसूली भी हो चुकी है, और 50 रेड एंट्री राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज की गई हैं।

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) का कहना है कि यह गिरावट राज्य सरकार, कृषि विभागों और किसानों में बढ़ती जागरूकता के सतत प्रयासों का परिणाम है। इसके अलावा, लगभग 8,000 मशीनों का उपयोग पराली प्रबंधन के लिए किया जा रहा है, जिसमें लगभग 12.70 मिलियन टन पराली खेतों के बाहर प्रबंधित की जाएगी, जिसमें से कुछ चारे के रूप में उपयोग की जाएगी।

पराली जलाने में यह कमी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह त्योहारी सीजन के दौरान वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को रोकने में मदद करती है, खासकर दिल्ली में, जहां पराली जलाने के कारण वायु गुणवत्ता अक्सर “गंभीर” श्रेणी में पहुंच जाती है।

पंजाब सरकार द्वारा पराली जलाने को रोकने के प्रयास

पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के लिए पंजाब के सहकारी बैंकों ने फसली अवशेष प्रबंधन के लिए 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर ऋण देने की योजना शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को फसली अवशेषों के उचित प्रबंधन के लिए मशीनरी खरीदने में मदद करना है।

यह योजना पंजाब के सहकारी बैंकों की 802 शाखाओं में लागू की गई है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक कृषि सहकारी सभाओं और प्रगतिशील किसानों के लिए कृषि उपकरणों की खरीद पर 80 प्रतिशत सब्सिडी और बेलर एवं सुपरसीडर जैसे उपकरणों पर 50 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी।

यह कदम पराली जलाने के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित होगा। साथ ही, CM भगवंत मान ने बायो-ऊर्जा संयंत्रों के समर्थन के लिए उद्योगों और किसानों के बीच अधिकतम भागीदारी को प्रोत्साहित करने की बात कही।

इसके अंतर्गत, पराली का उपयोग करने वाले उद्योगों के लिए एक क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा, जिससे फसली अवशेषों की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत किया जा सकेगा। ऋण की वापिस करने की अवधि पांच साल होगी, और इसे 10 अर्धवार्षिक किश्तों में चुकाना होगा। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों की भलाई और पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को फिर से स्पष्ट किया है।

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