विज्ञापन केस में पतंजलि और रामदेव पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा- “परिणाम के लिए तैयार रहें…”

IMA का आरोप था कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ बदनाम करने वाला अभियान चलाया था। अब इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापन मामले में आज का दिन काफी अहम है। मंगलवार यानी 2 अप्रैल को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। जिसके लिए योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए हैं। इस दौरान दोनों के सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उनके चारों तरफ सुरक्षा कर्मियों का जमावड़ा देखने को मिला है। बता दें कि हाल ही में अदालत ने इन दोनों ही लोगों को इस मामले में व्यक्तिगत पेश होने का आदेश दिया था।

बता दें कि कोर्ट रूम में सुनवाई की शुरुआत करते जस्टिस ने कहा कि, “अदालत ने उन दस्तावेजों को देखा है, जिसमें कहा गया है कि जवाब ना देने पर कंपनी और मैनेजमेंट के खिलाफ कंटेम्प्ट का केस क्यों ना चलाया जाए। ऐसे में आप कोर्ट को बताएं कि आपने पहले दो जवाब कब दिए हैं। 27 फरवरी के ऑर्डर को भी हमने देखा है, यहां भी आपके तरफ से जवाब ना दाखिल करने की बात कही गई है। इस दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने पूछ कि बाबा रामदेव और दूसरे आरोपी का एफिडेविट कहां है।

अदालत में इन सवालों का जवाब देने के लिए बाबा रामदेव की तरफ से वकील बलवीर सिंह मौजूद थे। कोर्ट के इन सवालों पर अपने पक्ष का दलील रखते हुए बलवीर ने कहा कि, “इस वक़्त रामदेव कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से मौजूद हैं, भीड़ की वजह से हम उन्हें कोर्ट में नहीं ला सके। इसपर कोर्ट में सुनवाई कर रहे जस्टिस अमानतुल्लाह ने आदेश देते हुए रामदेव को कॉल पर जवाब देने को कहा।

वहीं, इस पूरे मामले पर दूसरी जस्टिस हिमा कोहली ने सख्त रवैया करते हुए पतंजलि के इस रवैये पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अदालत की तरफ से कंपनी, MD से हलफनामे के लिए कहा गया था मगर आपके तरफ से सिर्फ सिर्फ एक हलफनामा दायर किया गया है। ऐसे में आपका केवल माफी मांगना पर्याप्त नहीं है।

उन्होंने पतंजलि और रामदेव को फटकार लागते हुए आगे कहा कि, “टॉप कोर्ट ने जो आदेश जारी किया है, आपने उसका उल्लंघन किया है। जो अदालत को बिलकुल भी स्वीकार नहीं है। आप परिणाम के लिए तैयार हो जाएं।”

दरअसल, इससे पहले 27 फरवरी को जब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुनवाई किया था, तब पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण को अदालत के नोटिस का जवाब नहीं देने पर फटकार लगाते हुए कड़ी आपत्ति जताई थी। इस दौरान अदालत ने उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा थी कि उनके खिलाफ अमानना की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए। हालांकि, कोर्ट द्वारा फटकार लगाए जाने पर पतंजलति आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी थी। जिसके बाद आज इस मामले में सुनवाई के लिए व्यक्तिगत पेश हुए हैं।

चलिए जानते है की आखिर ये पूरा मामला क्या है?

कोविड-19 की महामारी के समय पतंजलि के तरफ से बाबा रामदेव ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है। उनके इसी दावे के खिलाफ IMAने आरोप लगाया था कि पतंजलि ने कोविड-19 वैक्सीनेशन के खिलाफ जानबूझकर एक बदनाम करने वाला अभियान चलाया था। अब इसी मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

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