सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के आधार पर कोविड-19 की मौत के लिए 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि प्राप्त करने के अपने आदेश पर गंभीर चिंता व्यक्त की। अनुग्रह मुआवजा मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति एमआर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने संकेत दिया
कि वह भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा इसकी जांच का आदेश दे सकती है। बेंच ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह के फर्जी दावे आ सकते हैं। यह एक पवित्र कार्य है। हमने कभी नहीं सोचा था कि इस योजना का दुरुपयोग किया जा सकता है।
और अगर अधिकारी इसमें शामिल हैं, तो यह और भी खराब हो जाता है।” वही इससे पहले भी न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा था कि कोविड-19 से मौत के बाद 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि प्राप्त करने के दावों के लिए कुछ समय-सीमा होनी चाहिए।