
राजद्रोह कानून (धारा 124A) की वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को पुनर्विचार करने के लिए एक दिन का समय और दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पूछा कि जब तक केंद्र सरकार राजद्रोह कानून की समीक्षा कर रही है तब तक जिन लोगों पर राजद्रोह के तहत दर्ज मामलों का क्या होगा और भविष्य में क्या कोई केस दर्ज होगा या नहीं इस पर कल तक अपना रुख स्पष्ट करें।
केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले की सुनवाई टालने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस मामले में सरकार सर्वोच्च स्तर पर विचार कर रही है, अभी कानून की वैधता पर सुनवाई ना की जाए। याचिकाकर्ता की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने सुनवाई टालने का विरोध किया सिब्बल ने कहा कि सरकार किसी नए कानून पर विचार नहीं कर रही है ऐसे में मामले की सुनवाई जारी रखना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट में आज मामले की सुनवाई के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश वकील सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि हमने इस मामले में 9 महीना पहले नोटिस जारी किया था सरकार ने मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने की बात कही थी अब सरकार कह रही है कि वह इस मामले में विचार कर रही है इसमें कितना समय लगेगा सॉलिड सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मामले गंभीरता से विचार कर रही है इसमें कितना समय लगेगा अभी नहीं बता सकते हैं लेकिन इसपर विचार की प्रक्रिया शूरू हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि राजद्रोह कानून का गलत इस्तेमाल भी हो रहा है हनुमान चालीसा पढ़ने पर भी राजद्रोह का केस दर्ज हो रहा है, इस कानून के गलत इस्तेमाल को कैसे रोका जाएगा, जब सरकार इस मामले को देख रही है और इस दौरान अगर इसका गलत इस्तेमाल होता है तो सरकार इसको कैसे रोकेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि जो पहले से जेल में है, जिनपर केस दर्ज है, जिनपर भविष्य में केस दर्ज हो सकता है, क्या आप ऐसे सभी केस स्थगित रखने का निर्देश देंगे? जब तक कानून पर पुनर्विचार नहीं हो जाता, तब तक राजद्रोह के दर्ज मामलों में क्या होगा ? सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि सभी केस अलग अलग राज्य के हाई कोर्ट में चल रहे हैं। हम हर केस के तथ्य नहीं जानते। मुख्य न्यायधीश एनवी रमना ने कहा कि हमें सब कुछ संतुलित करना होगा, जैसा कि यह भी देखने की जरूरत है कि जेल में कौन है।
जस्टिस सूर्यकांत ने SG तुषार मेहता से पूछा कि जब तक इस मामले का फैसला नहीं हो जाता, तब तक कानून को क्यों नहीं रोका जाएगा? जस्टिस हिमा कोहली ने सुझाव दिया कि केंद्र को राजद्रोह कानून पर पुनर्विचार का काम 3-4 महीने में पूरा कर सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप खुद राज्य सरकारों को यह निर्देश क्यों नहीं देता कि IPC की धारा 124A के तहत मामले को तब तक स्थगित रखा जाए जब तक कि केंद्र पुनर्विचार की प्रक्रिया पूरी नहीं कर लेता? जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि हां, लेकिन आप राज्यों को संकेत दे सकते हैं कि कानून पर विचार चल रहा है।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि सरकार ने हलफनामे में लिखा है कि प्रधानमंत्री के खुद मामले को संज्ञान में लिया है, पीएम लोगों के अधिकारों को प्राथमिकता देने के पक्ष में हैं।हम इसे मानने को तैयार हैं कि सरकार विषय को गंभीरता से देख रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सॉलिसीटर जनरल निर्देश लेकर बताएं कि लंबित मामलों और भविष्य में दर्ज होने वाले मामलों पर इसका क्या असर होगा? क्या फिलहाल पुनर्विचार होने तक 124A के लंबित मुकदमों में कार्रवाई को स्थगित रखा जा सकता है?









