Supreme Court : जब तक अवमानना याचिका दाखिल नहीं होती तब तक किसी मामले में यूपी सरकार कदम नहीं उठाती…

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के एक अस्पताल से 82 वर्ष के कोराना मरीज़ रामलाल के गायब होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के यूपी सरकार के 8 अधिकारियों को अदालत में पेश होने के आदेश पर रोक लगाई। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामले की चल रही कार्यवाही पर रोक लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता को कानूनी के लिए 50000 रुपया मुहैया कराने का निर्देश भी जारी किया।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार का बहुत ही खराब रवैया है जब तक अवमानना याचिका दाखिल नहीं होती तब तक किसी मामले में राज्य सरकार कदम नहीं उठाती। मामले की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। हम प्रयागराज के दाह केंद्रों में भी जांच कर रहे हैं इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी बुजुर्ग व्यक्ति की खोज की जा रही है सरकार की ओर से बुजुर्ग के पोस्टर भी लगाए गए हैं दूरदर्शन और आकाशवाणी मैं इस संबंध में विज्ञापन भी दिए गए हैं लेकिन फिर भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव समेत आठ उच्च अधिकारियों को मामले में तलब कर लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गायब में मरीज का ऑफिसर लेवल बेहद कम था ऐसे में मरीज के लिए चलना भी मुश्किल था मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना पूछा कि राज्य सरकार ने परिजनों को कितना मुआवजा दिया है राज्य सरकार की तरफ से वकील गरिमा प्रसाद ने कहा यह आपके हाथ में है वह 82 वर्ष के बुजुर्ग से और पहले कौशांबी में जूनियर इंजीनियर थे हमने सीसीटीवी कैमरा की भी जांच किया है और FSL की जांच कर रहे हैं मामले में दो एसआईटी का गठन भी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए राज्य सरकार को परिजनों को फिलहाल कानूनी खर्च के लिए ₹50000 देने का निर्देश जारी किया सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई में होगी

दरअसल, प्रयागराज के अस्पताल तेज बहादुर स्क्रू बेली कोविड-19 अस्पताल से 11 महीने पहले एक 82 वर्ष का कोरोना मरीज रामलाल यादव गायब हो गया था। रामलाल यादव की गुमशुदगी का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा था इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में गुमशुदा मरीज को 6 मई तक अदालत में पेश करने और अधिकारियों को अदालत में हाजिर होने का आदेश सुनाया था।

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