खुद से बातें करना नहीं है बुरा संकेत, सेल्फ टॉकिंग से होते हैं ये फायदे !

कुछ लोग खुद से बात करते हैं बड़बड़ाते हैं, आपके साथ भी कभी न कभी ऐसा होता ही होगा या फिर आपके घर में ऐसा कोई होगा।

कुछ लोग खुद से बात करते हैं बड़बड़ाते हैं, आपके साथ भी कभी न कभी ऐसा होता ही होगा या फिर आपके घर में ऐसा कोई होगा। जो अक्सर ही खुद से बातें करता रहता होगा। इसीलिए आज एक बात जानना जरूरी है कि क्या बड़बड़ाना या खुद से बातें करना किसी तरह की बुरी मेंटल हेल्थ का संकेत है। ज्यादातर लोग अक्सर गुस्से में या किसी से लड़ाई होने के बाद खुद से बात करने लगते हैं और अपना गुस्सा बड़बड़ाकर निकालने की कोशिश करते हैं। तो क्या ये आदत किसी तरह का कोई बुरा संकेत है या इसके कुछ अच्छे फायदे भी हैं। डॉक्टरों के हिसाब से जब भी कोई व्यक्ति अकेले बैठे-बैठे बात करता है, तो हम सोचते हैं कि हो सकता है वो मानसिक तौर पर बीमार है। फिर ऐसे लोगों को हम पागल भी समझ लेते हैं। लेकिन कितनी अजीब बात है कि ऐसा कुछ भी नहीं है ऐसे लोगों को कोई मानसिक बीमारी नहीं होती। खुद से बात करना आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। सेल्फ टॉकिंग के दौरान हम खुद की आलोचना करते हैं, सेल्फ असेसमेंट करते हैं। खुद की सोचने की शक्ति बढ़ाते है और खुद को मोटिवेट भी करते हैं और समाजिक चिंतन भी करते हैं। जिसके आधार पर हम अपने आपको किसी भी तरह के स्ट्रेस या मानसिक बीमारी से बचाकर रखते हैं।

कब नुकसान देह है सेल्फ टॉक

खुद से बात करना तब समस्या बन जाता है, जब आपको विजुअल हेलुसिनेशन्स यानी दृश्य मतिभ्रम हो। आपको ऐसा लग रहा हो कि आपके सामने कोई बैठा है जिससे आप लगातार बातें कर रहे हैं। ऐसा लग रहा हो कि आप किसी की बात का जवाब दे रहे।

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