शिक्षक दिवस 2025 : गुरु हैं राष्ट्र का आधार, NEP के साथ बदल रहा शिक्षा का परिदृश्य

हर साल 5 सितंबर को हम शिक्षक दिवस मनाते हैं, जो महान दार्शनिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वेपल्ली राधाकृष्णन की जयंती है। उनके शब्द हमेशा याद दिलाते हैं: “Teachers should be the best minds in the country.” भारतीय समाज में शिक्षक सदैव उच्च सम्मान के पात्र रहे हैं। प्राचीन गुरुकुलों से लेकर आधुनिक कक्षाओं तक शिक्षक मार्गदर्शक, संरक्षक और नैतिक स्तंभ रहे हैं। हमारी संस्कृति कहती है, “आचार्य देवो भव।”

प्रधानमंत्री ने हाल ही में लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रेरित किया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुसार शिक्षक “परिवर्तनकर्ता” हैं, जो आने वाली पीढ़ियों को जिम्मेदार, सक्षम और बहुआयामी नागरिक बनाने का कार्य करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा, “माता-पिता जन्म देते हैं; गुरु जीवन देते हैं। ये जीवनदाता भवन की आत्मा हैं। स्कूल भवन शरीर है, शिक्षक आत्मा।”

NEP के तहत शिक्षक अब पारंपरिक रटंत शिक्षा से हटकर छात्र-केंद्रित और नवाचारपूर्ण दृष्टिकोण अपना रहे हैं। वे सामाजिक, भावनात्मक, शारीरिक और संज्ञानात्मक विकास पर ध्यान देते हुए छात्रों में मूल्य, देशभक्ति और जड़ों से जुड़ाव पैदा कर रहे हैं। शिक्षक समावेशिता और समानता को बढ़ावा देने के लिए विशेष जरूरत वाले छात्रों और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अनुकूल अपनी रणनीतियां अपनाते हैं।

पिछले पांच वर्षों में NEP के क्रियान्वयन के तहत कई पहल की गई हैं, जैसे Integrated Teacher Education Programme (ITEP), जो बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाकर नई पीढ़ी के पेशेवर, प्रशिक्षित और प्रेरित शिक्षकों को तैयार करता है। आज शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं और भारत को 2047 तक समृद्ध और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

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