तहसीलदार के फर्जी अर्दली ने माँगी 10 हजार की रिश्वत, पूछताछ में हुआ बड़ा खुलासा

सूत्रों की माने तो तहसीलदार ने अर्दली के रूप में एक दलाल रखा है। यह फर्जी अर्दली पीड़ितों से तहसील में काम कराने के नाम पर मोटा रकम लेता है।

खबर देवरिया जिले से है जहां बरहज तहसील के तहसीलदार अरुण कुमार का एक बड़ा मामला सामने आया है। जहां तहसीलदार ने एक फर्जी अर्दली को रखा है। यह अर्दली बाकायदा सफेद ड्रेस पर सरकारी बिल्ला लगा टोपी भी लगाता है। तहसीलदार के साथ उनके सरकारी गाड़ी में बैठकर आता-जाता है और जनता में खूब रुआब भी झाडता है। इस फर्जी अर्दली का खुलासा तब हुआ जब बरहज कस्बे के रहने वाले रमायन प्रसाद सम्पूर्ण समाधान दिवस में बरहज तहसील पहुंचे। जहां DM समेत जिले के जिलाधिकारियों से फरियाद की।

पीड़ित ने DM अखण्ड प्रताप सिंह को प्रार्थना पत्र देते हुए आरोप लगाया कि साहब तहसीलदार का अर्दली राजेश कुमार मुझसे जमीन के खारिज दाखिल के नाम पर 10 हज़ार रुपये रिश्वत माँग रहे है। DM नें अर्दली को तत्काल बुलवाया और गहनता से पूछताछ की तो पता चला कि यह सरकारी अर्दली नहीं है यह फर्जी है। DM नें उसे तुरंत पुलिस हिरासत में भेजते हुए कार्रवाई का आदेश दिया। इसके साथ ही SDM और तहसीलदार से स्पष्टीकरण भी माँगा है

अर्दली के रूप में दलाल

सूत्रों की माने तो तहसीलदार ने अर्दली के रूप में एक दलाल रखा है। यह फर्जी अर्दली पीड़ितों से तहसील में काम कराने के नाम पर मोटा रकम लेता है। एसडीएम तक पहुंचाता है और सेटिंग कराकर तहसील में काम भी करा देता है। इसे आजतक यहां कोई नहीं जान सका कि यह असली अर्दली है कि फर्जी।

आरोपी ने क्या कहा?

बताया जाता है कि यह इस तहसील में 2006 यानी 18 वर्षो से अर्दली के रूप में काम कर रहा है। इसे एक भी रुपये वेतन नहीं मिलता है, जो भी एसडीएम आते है उन्हीं का यह अर्दली बनकर रहता है। अधिकारियों को मोटी रकम कमा कर भी देता है। वहीं, इस पूरे मामले पर जब भारत समाचार ने फर्जी अर्दली से बात की तो उसका कहना है कि मैं पहले संविदा पर चपरासी के पद पर था। कार्यरत था 2006 में मेरी संविदा  समाप्त हो गयी लेकिन मैं इसी तरह काम करता रहा तहसीलदार और SDM ने मुझे रखा है।

Related Articles

Back to top button