ट्रिपल तलाक की पीड़ा: अपराधी, मुखबिर और पुलिस के गठजोड़ ने मिलकर ऐसे यास्मीन के इंसाफ का तमाशा बनाया

मेरठ में तीन तलाक से जूझ रही एक महिला की कहानी आपका दिल झकझोरने के लिए काफी है. रिश्तों में खटास के बाद पति ने जबरन उसे फोन पर धोखे से तीन तलाक दिया और फिर सामने आकर जबरन तलाकनामे पर उसके दस्तखत ले लिए. जबकि महिला अपने शौहर के साथ रहना चाहती है. फिलहाल, तीन तलाक का ऑडियो और जबरन दस्तखत का वायरल वीडियो इस मामले में पुलिस की लापरवाही की इन्तेहा बयान करने के लिए काफी है.

मेरठ के एसएसपी के नाम लिखी गयी शिकायत में शहर के लिसाड़ीगेट थाना इलाके के सिद्दीक नगर की यास्मीन लिखती है कि 11 दिसंबर 2020 को सोतीगंज के कारोबारी और पूर्वा अहमदनगर जली कोठी के निवासी शादाब से उनका निकाह हुआ था. यास्मीन के परिवार ने पूरी इज्जत और कुब्बत से इस शादी का आयोजन कराया था. लेकिन थोड़े दिन बाद ही पति और ससुरालवालों की आंखें उनको लेकर ढेड़ी हो गयी.

दरअसल, यास्मीन के परिवार की ओर से दिया गया दान-दहेज शादाब और उसके परिवार को पसंद नही आया था. इसको लेकर वह यास्मीन को निशाना बनाने लगे. उन्होने यास्मीन में ही खामियां निकालनी शुरू की. दहेज को लेकर उसे ताने दिये जाने लगे. यास्मीन ने जब इस मामले पर शौहर से खुलकर बात की तो इसे शादाब ने तीन तलाक देने का आधार बना लिया. यास्मीन के जुल्म के खिलाफ जुबान खोलने को लेकर तनातनी शुरू हो गयी.

वह वीडियो जिसमें शादाब का भांजा समीर यास्मीन से जबरन
तलाकनामे पर दस्तखत ले रहा है

एक महीने बाद ही शादाब उसकी पिटाई करने के बाद यास्मीन को उसके घर छोड़ आया. परिवार ने समझौते की तमाम कोशिशें की लेकिन शादाब और उसके घरवाले यास्मीन को रखने को राजी नही हुए. समाज के दबाब में एक बार शादाब यास्मीन को घर ले गया लेकिन थोड़े दिन बाद जब उसे रसौली हो गयी तो आधी रात के वक्त उसे शादाब पीटते हुए सड़क पर निकाल लाया. पड़ौसियों ने पुलिस को फोन कर दिया. पुलिस आई लेकिन यास्मीन के बजाय शादाब और उसके भाईयों का दबाब पुलिस पर दिखाई दिया. यास्मीन को अपने घर जाना पड़ा.

यास्मीन से फोन पर शादाब बोला- तलाक, तलाक, तलाक

आखिरकार एक दिन शादाब ने अपने भाई के मोबाइल से यास्मीन को कॉल कराया और खुद फोन पर आकर यास्मीन को तीन तलाक दे दिया. इस दौरान यास्मीन को यह बार-बार कहते हुए सुना जा सकता है कि मैं आपके ही साथ रहना चाहती हूं, मैं तलाक नही चाहती.

दर्जनों गुंडो के साथ ससुरालवालों ने घर में घुसकर जबरन लिए दस्तखत-

एक मजबूर महिला के दिलोदिमाग से खेलने की कहानी यहीं खत्म नही होती. एक वीडियो भारत समाचार को यास्मीन की ओर से मुहैया कराया गया. जिसमें यास्मीन का हाथ जबरन पकड़कर उसकी ननद का बेटा समीर उसके दस्तखत तलाकनामे पर ले रहा है. इस दौरान यास्मीन जोर-जोर से रोती रहती है. लेकिन कोई उसकी फरियाद नही सुनता. यास्मीन के मुताबिक उसके चारों जेठ कई गुंडो को लेकर उसके घर आये थे और तभी जबरन उसके दस्तखत कराये गये.

केस दर्ज होने के बाद कार्रवाई के बजाय पुलिस ने किया समझौते का इंतजार-

जबरन तीन तलाक दिये जाने के खिलाफ यास्मीन ने पुलिस से शिकायत की. 14 जनवरी 2022 को पुलिस ने केस दर्ज किया तो इलाके का पार्षद नौशाद इस मामले को थाना पुलिस की मदद से रफा-दफा कराने में जुट गया. पुलिस इस मामले में बिना किसी दबाब के कार्रवाई करने के बजाय समझौता कराने वाले पार्षद की ओर खड़ी नजर आयी. यास्मीन के परिवार पर सामाजिक और रसूखों का दबाब बनाकर सामान वापिसी पर समझौता हुआ.

पुख्ता सूत्रों के मुताबिक एक ट्रक में भरकर यास्मीन के परिवार को दहेज का सामान वापिस किया गया. लेकिन यास्मीन के अनुसार यह पूरा सामान नही था. उसने इस मामले में पुलिस अधिकारियों से भी गुहार लगाई लेकिन शादाब के खिलाफ दर्ज केस की कार्रवाई आगे नही बढ़ सकी. पुलिस की ओर से निराश यास्मीन ने अब सोशल मीडिया का सहारा लिया और उसके साथ हुए जुल्म के सबूत वायरल कर दिये.

कुख्यात कबाड़ी हाजी गल्ला के गैंग में काम करता था शादाब और उसके भाई-

यास्मीन बताती है कि सोतीगंज ऑटोपार्टस् मार्केट के कुख्यात बदमाश हाजी गल्ला के लिए शादाब और उसके 4 भाई काम करते है. शादाब का एक भाई अशफाक इलाके की पुलिस का मुखबिर भी है. इनका संरक्षणदाता नगरनिगम का पार्षद नौशाद भी है जिसने पुलिस को साथ लेकर यास्मीन को दहेज वापिसी का समझौता भी कराया था. मेरठ के सोतीगंज के बदमाशों और पुलिस के बीच का गठजोड़ जगजाहिर है. इसका असर ऑटोपार्ट्स के कारोबार के अलावा यास्मीन की इंसाफ की लड़ाई पर भी दिखाई देता है.

लेकिन पुलिस अब भी नही चेती. यास्मीन अब मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंची और आरोपियों को जेल भेजने की मांग की. दिवस अधिकारी ने इस मामले में संबधित थाने को कार्रवाई किये जाने को लेकर निर्देश जारी कर दिये है. लेकिन यह एक सामान्य प्रक्रिया है जबकि यास्मीन कई हफ्तों से इंसाफ के लिए भटक रही है.

पुलिस के अफसर दबे स्वर में बताये है कि आरोपियों को जेल भेजने के लिए थाना पुलिस को निर्देशित किया गया था लेकिन इस दौरान समझौते की बात सामने आ गयी. सामान आधा-अधूरा दिया गया इसलिए मामला फंस गया. अब आरोपी शादाब और उसके नामजद परिजन फरार है. पुलिस के हाथ नही आ रहे है. पुलिस अब अदालत से उनके वारंट जारी कराने की कोशिश कर रही है.

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