इंडिगो संकट पर अहम सवाल, एयरलाइन को देना होगा जवाब

इंडिगो द्वारा फ्लाइट कैंसिल करने के बाद कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इन सवालों का जवाब एयरलाइन को ही देना होगा।

इंडिगो द्वारा फ्लाइट कैंसिल करने के बाद कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इन सवालों का जवाब एयरलाइन को ही देना होगा।

1 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच क्या हुआ?
सरकार के अनुसार, नए FDTL नियम 1 नवंबर से ठीक से लागू हो गए थे, और कोई समस्या रिपोर्ट नहीं हुई थी। फिर एक महीने बाद सिस्टम अचानक क्यों ढह गया?

क्या 100 पायलटों की कमी से पूरी एयरलाइन ठप हो सकती है?
इंडिगो जैसी एयरलाइन जो रोज़ाना 2000+ फ्लाइट चलाती है, क्या इतनी कमजोर प्लानिंग थी कि हल्की कमी से पूरा सिस्टम ध्वस्त हो गया?

दो साल पहले से पता था कि FDTL लागू होंगे, फिर तैयारी क्यों नहीं की?
इंडिगो ने पहले ही DGCA को बताया था कि नए नियमों से स्टाफिंग लागत बढ़ेगी, फिर भी भर्ती और ट्रेनिंग को समय पर क्यों नहीं बढ़ाया गया?

पायलट नहीं थे, फिर भी विंटर शेड्यूल क्यों बढ़ाया?
क्या बिना पर्याप्त पायलटों के अधिक फ्लाइटें जोड़ना एक व्यावसायिक जोखिम था, जो यात्रियों पर थोप दिया गया? और DGCA ने ऐसी मंजूरी कैसे दी?

जब पता था कि फ्लाइटें कैंसिल होंगी, तब टिकट बुकिंग क्यों जारी रखी?
यात्रियों से पैसे लेकर ऐसी फ्लाइट क्यों बेची गईं, जिन्हें उड़ाया ही नहीं जा सकता था?

सरकार इतनी बड़ी एयरलाइन को कैसे दंडित करेगी?
अब सवाल यह है कि सरकार इस एयरलाइन को कैसे दंडित करेगी, जो इतना बड़ा संकट खड़ा कर चुकी है?

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