
सहारनपुर : समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव मंगलवार को एक निजी कार्यकर्म में सहारनपुर पहुंचे। जहां मीडिया से बात करते हुए उन्होंने प्रदेश की मौजूदा बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला। अखिलेश यादव ने महाकुंभ और सरकार के रवैये पर अपनी चिंता और नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन में अपमानजनक व्यवहार और व्यवस्थाओं ने लोगों को तंग किया है, और सरकार को इस बारे में सख्ती से सोचना चाहिए।
अखिलेश यादव ने कहा कि जो भारतीय नागरिक विदेश से आए थे, उन्हें अपमानजनक रूप से बैड़ियां पहनाई गईं और उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जिस सरकार को दुनिया में भारत की ताकत का डंका बजाने का दावा था, क्या उन्होंने कभी यह सोचा कि हमारे नागरिकों को इस तरह के अपमान का सामना करना पड़ा है?
इसके साथ ही उन्होंने कुंभ के आयोजन को लेकर भी सवाल उठाया। उनका कहना था कि भाजपा द्वारा प्रचारित किया गया है कि महाकुंभ 144 साल बाद हो रहा है, जबकि ऐसा नहीं है। वह सरकार के इस रवैये को मुनाफे की सोच के तहत मानते हैं। उनका कहना था कि सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में मुनाफे की सोच नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि 70 करोड़ लोग महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं, लेकिन सरकार जानबूझकर गिनती कम बता रही है ताकि इस आयोजन की व्यवस्थाओं की पोल न खुले। अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार को कुंभ से कुछ सिखने की जरूरत है, खासकर यह कि स्नान करते वक्त कपड़े पहनने की आदत डालनी चाहिए, क्योंकि हम दूसरों से कुछ न कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुंभ के दौरान लाखों लोग गाड़ियों में घंटों सोए और कई बार तो उनकी जान भी चली गई। उन्होंने खास तौर पर प्रयागराज के लोगों की दुर्दशा पर भी चिंता जताई, जिन्होंने हाउस अरेस्ट का सामना किया।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि NGT ने पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है, और आजकल के लोग आसानी से गूगल और नई जानकारी से सब कुछ जान लेते हैं। इसके अलावा, उन्होंने बजट के बारे में भी अपनी मायूसी व्यक्त की, कहकर कि यह उम्मीदों के अनुसार नहीं था, और सवाल उठाया कि जब पूरा पैसा कुंभ में खर्च हो जाएगा तो किसानों के लिए क्या होगा? आखिरकार, अखिलेश यादव ने सरकार की नीतियों को आलोचना करते हुए यह कहा कि यदि धार्मिक आयोजन हो रहे हैं, तो उनका सम्मान किया जाना चाहिए और किसी को भी किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक चीज़ का मजाक उड़ाने या उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होना चाहिए।