सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल की शादी के मायने

फिल्म अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल की शादी का सुर्खियों में होने के पीछे कुछ कारण है l दोनों के बीच शादी काफी लंबे रिलेशनशिप के बाद हुई l शादी दोनों के मर्जी के मुताबिक हुई इसमें किसी के लिए क्या समस्या हो सकती है l आमतौर पर देखा जाता है कि इस तरह की शादियों में सामाजिक और धार्मिक समस्या के पैदा होती ही है l शत्रुघ्न सिन्हा के परिवार के अधिकांश सदस्यों के नाम रामायण के पात्रों के नाम पर हैं उनके घर का भी नाम रामायण है ऐसे में उनके तथा परिवार के लिए असहज होना सामाजिक रूप से स्वाभाविक है l

समाज से सवाल भी खड़े होंगे क्योकि जब सोनाक्षी के दोनों भाई लव और कुश शादी में तथा रिसेप्शन में शामिल नहीं हुए हों l हालाँकि सोनाक्षी ने शादी के बाद हिंदू धर्म के न छोड़ने की बात कही l लेकिन आमतौर पर देखा जाता है कि ऐसा नहीं होता है शादी के बाद हिंदू महिला धीरे धीरे मुस्लिम संस्कृति में रचने बसने लगती है यद्यपि उसका नाम हिंदू ही रहता है l

करीना कपूर के उदाहरण से समझा जा सकता है l उन्होंने शैफ अली खान से शादी करने के बाद अपना नाम करीना ही रखा परंतु अपने बेटे का नाम रखने में जालिम आक्रांता तैमूर नाम रखने में परहेज नहीं किया l क्या उनको यह पता नहीं था कि भारत आकर तैमूर ने निर्दोष हजारों लोगों की जान ली थी ? ऐसी शादी में सबसे बड़ी समस्या अगड़ी पीढ़ी के लिए ही होती है l

इस तरह की शादी की आलोचना तब जायज हो जाती जब शादी के पीछे लव जिहाद का लक्ष्य छिपा होता है l कहीं ऐसी शादियों का धर्म परिवर्तन उद्देश्य तो नहीं है ? लोगों को आलोचना और समर्थन दोनों का अधिकार है l इन अधिकारों का भी सम्मान होना ही चाहिए पर देखना यह होगा कि इसके पीछे तर्क क्या है l ऐसी शादियां किसी धर्म विशेष को चिढ़ाने के लिए नहीं होनी चाहिए जैसा की अभिनेत्री स्वरा भास्कर की शादी में देखने को मिला l सांप्रदायिक सद्भाव दोनों संप्रदायों की जिम्मेदारी है एक समुदाय की नहीं जब हिंदू युवती किसी मुस्लिम से शादी करे तो सेकुलरिज्म की बात बताकर तालियां पीटी जाएं और जब मुस्लिम युवती हिंदू युवक से शादी करे तो फतवा जारी कर उसका शांति से रहना मुश्किल किया जाए ये दोहरा मापदंड उचित नहीं है l

लेखक – मुनीष त्रिपाठी,पत्रकार, इतिहासकार और साहित्यकार है

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