ग़ाज़ियाबाद ।
नगर निगम दफ्तर शाम ढलते ही मयखाने के रूप में तब्दील हो जाते है। नगर निगम के अपर नगर आयुक्त की निरीक्षण में इसका खुलासा हुआ हैं। कविनगर जोनल कार्यालय परिसर में स्थित निर्माण विभाग में तैनात जेई योगेश कुमार को देर रात नशे की हालत में पकड़ा गया हैं। नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने योगेश कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 दिन के भीतर जवाब तलब किया हैं। मामला मंगलवार शाम का है। कविनगर के स्थानीय लोगो ने नगर आयुक्त को फोन कर कार्यालय में देर रात तक शराब पीने और हंगामा करने की सूचना दी थी। जिसके बाद उन्होने अपर नगर आयुक्त शिवपूजन यादव को निरीक्षण को भेजा। निरीक्षण में पाया गया कि योगेश कुमार कार्यालय में रात के 9 बजे अपने कार्यालय में नशे की हालत में मिले, उनके साथ कुछ लोग और भी मौजूद थे, जो कि नगर निगम के ठेकेदार बताए गये है। निरीक्षण रिपोर्ट के मुताबिक जब जेई योगेश कुमार से देर रात तक दफ्तर में रुकने का कारण पूछने पर कोई भी संतोषजनक जवाब नही दे पाए। उसी निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा हैं।
गाजियाबाद
— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) April 14, 2022
➡नगर निगम का दफ्तर बना शराबियों का अड्डा
➡कविनगर जोन का दफ्तर बना शराबियों का अड्डा
➡नशे की हालत में मिले जेई योगेश कुमार
➡निरीक्षण के दौरान नशे की हालत में पकड़ा गया
➡लोगों की शिकायत पर नगर आयुक्त ने कराई जांच#Ghaziabad pic.twitter.com/AIebQpGm2G
नोटिस जारी होंगे ही 2 दिन की छुट्टी पर गया जेई योगेश।
योगेश कुमार के खिलाफ नगर निगम के आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने कारण बताओ नोटिस जारी होते ही वो दो दिन की छुट्टी पर चला गया है। इससे पहले भी कई बार योगेश की शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई कार्यवाई नही हुई हैं। जानकारी के मुताबिक नगर निगम में सबसे अधिक आईजीआरएस पर प्राप्त होने वाली शिकायते योगेश कुमार की ही हैं।

योगेश राजनैतिक रसूख के चलते निगम से तबादले के बाद भी नही हुआ रिलीव।
नगर निगम का जेई पर अपने राजनैतिक आकाओं का आशीर्वाद ही है कि 6 महीने पहले हुए तबादले के बाद भी आज तक रिलीव नही हुआ हैं। उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा 6 महीने पहले उसका तबादला देवबंद किया गया था। तबादले के बाद ही गाजियाबाद के जन प्रतिनिधियों ने पत्र लिखकर उसे रिलीव न करने की हिमायत की थी। योगेश कई सालों से निगम में ही तैनात है और उसका तबादला होने के बाद भी उसका रिलीव न हो पाना कई बड़े सवाल खड़े करता हैं।









