GNCTD संशोधन अधिनियम 2021 को चुनौती देने वाली याचिका अब संवैधानिक पीठ करेगी सुनवाई, तय करेगा सुप्रीम कोर्ट…

दिल्ली सरकार बनाम केंद्र सरकार विवाद मामला: GNCTD संशोधन अधिनियम 2021 को चुनौती देने की दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि दिल्ली सरकार की अर्जी को संविधान पीठ को भेजा जाए या नहीं। दिल्ली सरकार ने याचिका दाखिल कर अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार मांग की है।

केंद्र सरकार ने मामले को संविधानिक पीठ को भेजे जाने की मांग किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दौरान संकेत दिया कि अगर वह मामले को 5 जजों संविधानिक पीठ के पास भेज सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मामला संविधान पीठ के पास जाता है 15 मई तक सुनवाई पूरी करने की कोशिश करेंगे। वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने मामले को संविधानिक पीठ के पास भेजे जाने का विरोध करते हुए कहा कि कोरोना के कोर्ट पर कार्यभार बढ़ाया है क्या न्यायालय के समय है कि एक संविधानिक पीठ के फैसले को दूसरी संविधानिक पीठ के पास भेजा जाए।

दिल्ली सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने कहा मामले में संविधान पीठ के फैसले पहले से ही हैं, केंद्र सरकार पहले 6 बार मामले की सुनवाई टालने के आग्रह कर चुकी है अब मामले में बड़ी बेंच के पास भेजने की मांग कर रही है, संविधानिक पीठ के फैसले में गलती निकली जा सकती है, इसका मतलब यह नहीं है मामले को फिर बड़ी बेंच के पास भेजा जाए यह एक दुर्लभ मामला होगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले में बड़ी बेच के पास भेजने की मांग करते हुए कहा कि हम मानते है कि हर संवेधानिक मामले को पीठ के पास नहीं भेजा जाना चहिये, वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय है हफ्ते संविधान से सम्बंधित दो याचिका कोर्ट में दाखिल करते है, लेकिन यह अलग मामला इसको 5 जजों की पीठ के पास भेजा जाना चाहिए।

पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था बालकृष्ण समिति बनाई गई और रिपोर्ट पर संसद में चर्चा हुई, जिसके आधार पर धारा 239AA को संविधान में जोड़ा गया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा दिल्ली क्लास C राज्य है। दुनिया दिल्ली को भारत की नज़र से देखती है, एस बालाकृष्णन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने दुनिया भर के देशों के राष्ट्रीय राजधानी की प्रशासन प्रणाली का अध्ययन करके दिल्ली प्रशासन को लेकर रिपोर्ट बनाई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बालाकृष्णन की रिपोर्ट में प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत निवारण के व्यावहारिक और सटीक उपाय सुझाया गया है।

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