मौसम विज्ञानियों के अनुसार हिंद महासागर में समुद्र का स्तर एक गंभीर परिस्थिति उत्पन्न करने की हद तक बढ़ रहा है। यह देश-व्यापी प्राकृतिक आपदा को जन्म दे सकता है। इस साल समुद्र का जल स्तर बढ़ने की अधिक घटनाएं दर्ज की गयी है जो कि पुरे देश की लिए एक चिंताजनक बात है। 26 मई को उत्तरी ओडिशा तट को पार करने वाले चक्रवात, यास से समुद्र का जल स्तर इस साल 17 मई को गुजरात तट को पार करने वाले चक्रवाती तूफान तौकते की तुलना में अत्यधिक दर्ज किया गया।
इंडियन इंस्टिट्यूट फॉर ट्रॉपिकल मैट्रोलोजी (Indian Institute of Tropical Meteorology) की प्रसिद्द मौसम वैज्ञानिक और Intergovernmental Panel on Climate Change (IPCC) द्वारा अगस्त में जारी की गई की एक रिपोर्ट रिपोर्ट “द फिजिकल साइंस बेसिस” की सह-लेखिका स्वप्ना पनिकल की माने तो यह समस्या मुख्य रूप से ज्वार, स्थल आकृति और औसत समुद्र के स्तर के कारण है, जो समुद्र के चरम स्तर की घटनाओं की संभावना को निर्धारित करता है।
पनिकल ने जलवायु परिवर्तन पर चल रहे अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (INTROMET-2021) जिसका विषय ‘जलवायु परिवर्तन : परिणाम और चुनौतियां’ था, में अपने वक्तव्य की के दौरान कहा कि वर्ष 1870 के बाद से समुद्र के स्तर के आंकड़े दिखाते हैं कि ये घटनाएं मुंबई तट पर भी बढ़ रही हैं। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि भारत में तटीय क्षेत्रों को समुद्र के स्तर में वृद्धि संबंधी चिंताओं के लिए बेहतर ढंग से तैयार होने की आवश्यकता है। 1870 और 2000 के बीच, वैश्विक औसत समुद्र स्तर में प्रति वर्ष 1.8 मिमी की वृद्धि हुई जो 1993 से 2017 की अवधि के दौरान लगभग दोगुनी होकर 3.3 मिमी प्रति वर्ष हो गई।