
सरकारी कर्मचारी अगर दो चार दिन जेल में रहता है तो उसे उसके पद से निलंबित कर दिया जाता हैं। लेकिन किसी मंत्री या विधायक के जेल जाने पर उसके खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं की जाती हैं। जेल में होने के बाबजूद लोगों का मंत्री पद बने रहने के खिलाफ एक याचिका दी गयी थी। जिसे सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के जज यूयू ललित ने कहा- किसी को पद से हटाने के लिए हम अपनी तरफ से कोई नया नियम नहीं बना सकते हैं। कानून बनाना संसद का काम हैं। हम इस परिपेक्ष में कानून नहीं बना सकते हैं। बतादें कि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने दिल्ली के सत्येंद्र जैन का भी उदाहरण दिया था।
कई दागी विधायक जेल में रहते हैं और उनका पद वो जेल से ही देखते हैं। पूरे देश भर में कई विधायक ऐसे हैं जो जेल में है मगर बाहर उनका विधायक पद और मंत्री पद ऐसे ही चलता रहता हैं। कहि न खिन ये विकास के मार्ग में भी वधा हैं। और दूसरी तरफ यह बात भी विचार करने योग्य है, कि जो मंत्री या विधायक जेल में हैं वो जलता को क्या सही रह दिखायेगा।









