बदरीनाथ में चढ़ावे पर मंदिर का अधिकार, श्रद्धालुओं के पूजा पाठ कराने व चढ़ावे पर कोर्ट ने सुनाया फैसला

उत्तराखंड : मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सिविल जज (सीडि) छवि बंसल की अदालत ने एक फैसले में कहा है कि बदरीनाथ धाम में आने वाले चढ़ावे पर मंदिर का अधिकार है। मंदिर ही उसका स्वामी है। अदालत ने बदरीनाथ धाम में नेपाली मूल के श्रद्धालुओं की पूजा, पाठ व चढ़ावे पर अधिकार के मामले में फैसला सुनाते हुए यह बात कही

दरअसल, बदरीनाथ धाम में हर यात्राकाल में नेपाल के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में दर्शनों को पहुंचते हैं। नेपाली मूल के श्रद्धालुओं की पूजा पाठ डिमरी समाज की ओर से किया जाता है। जिसके लिए पूर्व में नेपाली लाल मोहरिया पंडा समाज, नेपाली पंडा समाज पंचायत व नेपाली आश्रम सेवा समिति धर्मशाला अस्तित्व में थी। लेकिन 2016 के बाद समिति का पंजीकरण खत्म हो गया। 2018 में हरिप्रसाद डिमरी और बल्लभ प्रसाद डिमरी ने अदालत में वाद दायर किया कि उन्हें 2017 में वृत्ति/बारीदार का अंश नहीं दिया गया। जिस पर समिति के पदाधिकारियों सहित 12 लोगों को प्रतिवादी बनाया गया। अदालत में प्रतिवादी पक्ष की ओर से बताया गया कि 2016 से समिति का पंजीकरण नहीं है। कहा गया कि धाम में डिमरी समाज का कोई भी ब्राह्मण यदि किसी श्रद्धालु का यजमान के रुप में पूजा-पाठ करता है, तो वह दान दक्षिणा का अधिकारी है,

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज (सीडि) छवि बंसल ने 28 जून 2024 को इस पर फैसला सुनाया। जिसपर अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि बदरीनाथ धाम में पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों से जो भी भेंट, दान या चढ़ावा आता है मंदिर उसका स्वामी है। साथ ही अदालत ने कहा कि वादी यह साबित करने में असफल रहा है वह मंदिर में भेंट, दान आदि का हकदार है। साथ ही 2017 को पंचायत की आय पर हक हकूक का अंश पाने का अधिकारी है यह भी साबित करने में असफल रहे हैं। जिसके आधार पर अदालत ने वाद को खारिज कर दिया.

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