Electric Vehicles, ऑटोमोबाइल जगत में बड़ा बदलाव लेकर आया है। आजकल ईवी उत्पादों के प्रति दुनिया भर के लोगों में काफी उत्साह देखने को मिला रहा है। ईवी को लेकर दुनिया भर के विभिन्न बाजारों में जबरदस्त बिक्री देखी गई है। बाजारों में कई ऐसे मॉडल भी मौजूद हैं जिनको लेकर पब्लिक में मांग ज्यादा देखने को मिल रही है। हालांकि, कुछ ऐसे भी ईवी मॉडल है जो बंद होने के कगार पर हैं। कारण है उनका उम्मीदों पर खरा न उतरना। तो चलिए जानते हैं वो कौन से ईवी मॉडल्स हैं जो ध्वस्त होने के कगार पर हैं।
दरअसल, दुनिया की सबसे बड़ी ईवी निर्माता कंपनी टेस्ला की मॉडल 3 और मॉडल वाई कारों के चलते कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है की इन दोनों ही मॉडलों का प्रदर्शन पहले से अलग रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार टेस्ला ने इस साल की तीसरी तिमाही में वैश्विक स्तर पर 6.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है, मगर इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा इसके नए साइबरट्रक से आया है। वहीं छोटे मॉडलों ने कंपनी के लिए उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं दिखाया। वहीं, कंपनी के मुश्किलों का एक और कारण चीन की BYD जैसी प्रतिस्पर्धी कंपनियों के उभरना भी बताया जा रहा है। जिससे कंपनी की बिक्री पर प्रभाव पर रहा है।
बता दें, इलेक्ट्रिक वाहनों की कम बिक्री की समस्या से जूझने वाली कंपनियों के लिस्ट में टेस्ला के साथ फोर्ड मोटर कंपनी का नाम भी सामने आ रहा है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि फोर्ड अपनी F-150 लाइटनिंग मॉडल की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को सात सप्ताह के लिए बंद करने की योजना बना रहा है। कंपनी के तहत उसके इस कदम के पीछे की वजह मॉडल की घटती मांग भी है। फोर्ड की F-150 लाइटनिंग मॉडल अमेरिका में सबसे ज्यादा बिकने वाली मॉडलों में से एक है।
हाल ही में अमेरिकी कंपनी ने एक बयान जारी करते हुए बताया कि, “हम बिक्री वृद्धि और लाभप्रदता के इष्टतम मिश्रण के लिए उत्पादन को समायोजित करना जारी रखते हैं।” इस बीच, वोक्सवैगन जैसी कई यूरोपीय कार निर्माता कंपनियां भी जर्मनी में अपने प्लांट बंद करने की योजना बना रही हैं। इस बीच, मर्सिडीज-बेंज ने तीसरी तिमाही के मुनाफे में 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है। एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में ईवी क्षेत्र के लिए चुनौती के पीछे कई कारक हैं। उदाहरण में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों को लेकर जारी अनिश्चितता को ही ले लीजिये। साथ ही अन्य में प्री-ओन्ड इलेक्ट्रिक-वाहनों की मांग में वृद्धि को भी इसका एक प्रमुख कारक मन जा सकता है।
भारतीय बाजारों में भी हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों के तीव्र अनुकूलन और विनिर्माण योजना के अभाव के चलते इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में गिरावट दर्ज हुई है। ये सिलसिला पिछले 4 महीनों से जारी है। हालांकि, इसका इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की बिक्री पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ा है।