बीमारी कोई नही डॉक्टर ने बताया कैंसर, 15 साल की लड़ाई के बाद अदालत का बड़ा फैसला

धरती का भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर पर बड़ा आरोप सामने आया है जिसको लेकर कोर्ट ने जुर्माना अदा करने के आदेश दिए है। लखीमपुर खीरी में ज़िला उपभोक्ता फोरम कोर्ट ने बड़ा आदेश देते हुए महिला का बिना बीमारी इलाज करने वाली सरकारी डॉक्टर को ब्याज सहित जुर्माना अदा करने के आदेश जारी किए है और यह राशि अगले एक महीने में जमा करनी होगी।

मामला लखीमपुर शहर के अस्पताल रोड पर रहने वाली रानी गुप्ता नाम की पीड़िता से जुड़ा है, जिसने 15 साल पहले केस दायर किया था। दरअसल इन महिला को स्तन में गांठ की शिकायत थी जिसको लेकर उन्होंने शहर के ही एक निजी नर्सिंग होम में 2007 में सर्जरी कराई थी, जिसके बाद उन्हें बेहतर सलाह लेने के लिए लखनऊ भेजा गया, जहां KGMU में परीक्षण दौरान घातक कॅन्सर्स ट्यूमर की बात कही गई।

3 दिन रेडियो थेरपी की सलाह दी गई और थेरेपी कराई भी गई। इस बीच वे मुम्बई के प्रसिद्व अस्पताल भी गई क्योंकि शरीर पर इलाज को लेकर दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे थे, जैसे बालो का झड़ना, सिरदर्द आदि। वहां पर केंसर जांच में पता चला कि वे स्वस्थ है और उन्हें कोई दिक्कत नही न ही कोई बीमारी है। इस अच्छी खबर को सुनने के बाद भी पीड़िता रानी गुप्ता के होश उड़ गए क्योंकि वे मानसिक आर्थिक और शरीर से थक चुकी थी।

इसके बाद यह मामला पीड़िता की तरफ से उपभोक्ता अदालत पहुचा जहां पर फोरम ने KGMU लखनऊ के CMS से मेडिकल टीम बनवाने को कहा और जांच टीम ने तथ्यों को देखा इसके बाद उपभोक्ता फोरम में महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए KGMU लखनऊ रेडियोथेरपी विभाग की इस समय महिला प्रोफेसर डॉ सीमा गुप्ता को आदेश दिया कि इस पीड़ित महिला को 4.50 लाख रुपये सात प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ और 50,000 रुपये अतिरिक्त मुआवजे के रूप में देने का आदेश दिया है।

अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, वरिष्ठ डॉक्टर द्वारा कीमोथेरेपी देने के बाद, भले ही रोगी के शरीर में कोई कैंसर नहीं था। फोरम की तीन सदस्यीय खंडपीठ जिसमे अध्यक्ष शिव मणि शुक्ला,सदस्य जूही कुद्दुसी और डॉ आलोक कुमार शर्मा शामिल थे। उपभोक्ता अदालत के अद्यक्ष शिव मणि शुक्ला ने बताया कि इस मामले में एक महीने में जुर्माना अदा करने के आदेश दिए है। वही सदस्य जूही कुद्दुसी के मुताबिक इस मामले को पीठ ने बड़ी गहराई से देखा क्योंकि यह मामला कई बार पटल पर आया लेकिन फैसला नही दिया जा सका।

वही पीड़िता और उनका परिवार इस न्याय की लम्बी लड़ाई के बाद मिली जीत के बाद खासी खुश है। पीड़िता के वकील और सीनियर अधिवक्ता योगेश सक्सेना ने बताया इस लड़ाई में सभी कानूनी टेक्निकल पहलुओं को हमने पीठ के सामने रखा था जिसके बाद यह महत्वपूर्ण आदेश आया है।

रिपोर्ट- शारिक खान

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