‘एक जबरदस्त विस्फोट और खत्म हुआ सबकुछ’, आखिर टाईटेनिक पनडूब्बी के साथ क्या हुआ? बड़ी वजह आई सामने

पानी के अन्दर अत्यधिक दाब के कारण पनडूब्बी की दीवारें क्षतिग्रस्त होने लगी. इसी क्रम में एक समय ऐसा आया कि मरीन में जबरदस्त विस्फोट हुआ. बताया जा रहा है कि इसी विनाशकारी विस्फोट की वजह से उसमें सवार सभी यात्रियों की 20 मिलीसेकंड से भी कम समय में मौत हो गई.

टाईटेनिक जहाज के मलबे को एक्सप्लोर करने के लिए 18 जून को अपनी समुद्री ट्रिप पर रवाना हुए ओशनगेट सबमरिन में ‘कैटेस्ट्रोफिक ईम्प्लोजन’ का शिकार हो गई. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस हादसे में सबमरिन में सवार सभी 5 एक्सप्लोरर्स ने अपनी जान गवां दी. आईए, एक नजर डालते हैं उस घटनाक्रम पर जिसके तहत यह दुर्भाग्यपूर्ण हादसा हुआ.

17 जून शनिवार की रात को मृतक बिलयनियर एक्सप्लोरर्स में से एक कैप्टन हैमिश हार्डिंग ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट सांझा कर ये जानकारी दी कि, वह टाइटैनिक के मलबे का पता लगाने के लिए जा रहे एक पनडुब्बी जहाज के चालक दल में शामिल हैं.

हार्डिंग ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा, “आखिरकार मुझे यह घोषणा करते हुए गर्व हो रहा है कि मैं टाइटैनिक के नीचे जाने वाले ‘सब’ (पनडूब्बी का अन्य नाम) पर एक मिशन विशेषज्ञ के रूप में उनके आरएमएस टाइटैनिक मिशन के लिए ओशनगेट अभियान में शामिल हुआ.”

उन्होंने जानकारी दी कि पांच सदस्यीय दल, जिसमें फ्रांसीसी गोताखोर पॉल-हेनरी नार्जियोलेट, पाकिस्तानी व्यवसायी शहजादा दाऊद और उनके बेटे सुलेमान दाऊद शामिल थे, शुक्रवार को सेंट जॉन्स, न्यूफाउंडलैंड, कनाडा से रवाना हुए थे.

उन्होंने बताया कि वे रविवार की सुबह 4 बजे दुनिया के सबसे प्रसिद्ध जहाज के मलबे पर 4,000 मीटर की चढ़ाई शुरू करने की योजना बना रहे थे. उन्होंने कहा, “तब तक हमें बहुत सारी तैयारियां और ब्रीफिंग करनी है.”

बहरहाल, मिशन की शुरुआत से केवल 105 मिनट के बाद ही ओशनगेट सब की संचार व्यवस्था ‘टाईटन सबमर्सिबल’ ने अपनी मदरशिप के साथ संचार बंद कर दिया. हालांकि केवल पांच दिन बाद ही अमेरिकी तटरक्षक बल ने इस बात की पुष्टि कर दी कि पनडुब्बी में “भयंकर विस्फोट” हुआ और उसमें सवार सभी पांच लोगों की मौत हो गई.

क्या है ‘कैटेस्ट्रोफिक ईम्प्लोजन’

कैटेस्ट्राफिक ईम्प्लोजन एक भयानक विस्फोट या भारी नुकसान को इंगित करने की एक संज्ञा है. सबमरिन के मामले में इसका एक वैज्ञानिक मतलब होता है. दरअसल, जब कोई भी पनडूब्बी समुद्री सतह से नीचे की ओर बढ़ती है. तो उसपर गहराई के साथ-साथ जल का दबाव बढ़ता जाता है. आमतौर पर पनडूब्बी की दीवारें इस दबाव को सहन करने योग्य बनाई जाती हैं. जो दाब की मात्रा के अनुरुप खुद को ढाल लेती हैं.

ओशनगेट सब के साथ ऐसा नहीं हुआ. पानी के अन्दर अत्यधिक दाब के कारण पनडूब्बी की दीवारें क्षतिग्रस्त होने लगी. इसी क्रम में एक समय ऐसा आया कि मरीन में जबरदस्त विस्फोट हुआ. बताया जा रहा है कि इसी विनाशकारी विस्फोट की वजह से उसमें सवार सभी यात्रियों की 20 मिलीसेकंड से भी कम समय में मौत हो गई.

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