दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना के 100 वर्ष पुरे हो चुके हैं। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार का कहना है कि यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों के प्रवेश के लिए अब सीटें कम पड़ रही हैं। ऐसे में कम से कम दो नए कॉलेजों की तत्काल जरुरत महसूस की जा रही है। यूनिवर्सिटी के पास अपनी जमीन भी है बस सरकार से फंड जारी होने की प्रतीक्षा चल रही है। जैसे ही भारत सरकार फंड जारी करेगी, दो नए कॉलेजों का निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा।
दरअसल, विश्विद्यालय के कार्यकारी परिषद ने 2 से 3 नए कॉलेजों के निर्माण की एक योजना बनायी थी, जिसके सम्बन्ध में सम्बंधित केंद्रीय मंत्रालय को प्रस्ताव भेज दिया गया है। रजिस्ट्रार बताते हैं कि दोनों कॉलेजों को वीर सावरकर और सुषमा स्वराज के नाम से खोला जाएगा, लेकिन इस विषय पर अभी दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर पूरन चंद जोशी का निर्णय लिया जाना अभी बाकी है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता और नेता प्रेमशुक्ला ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी का यह फैसला प्रंशसनीय है वही भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री दीप्ति रावत ने कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के दोनों कॉलेजों का नाम वीर सावरकर और सुषमा स्वराज के नाम पर रखने का फैसला स्वागत योग्य हैं। यूनिवर्सिटी के इस कदम ने हमारी आने वाली पीढ़ियों को पता चलेगा की भारत भूमि के लिए किन व्यक्तित्वों ने अपना सर्वस्व योगदान किया था।