‘उड़ान’ ने बढ़ाई हवाई यात्रा की रफ्तार, 8 साल में सस्ते एयर ट्रैवल का सपना हुआ अब सच…

जानकारी के मुताबिक भारतीय एयरलाइन ने अगले 10 से 15 सालों में डिलीवरी के लिए 1,000 से ज्यादा विमानों के ऑर्डर दिए हैं।

उड़ान योजना को आठ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने बड़ा बयान जारी किया है। जिसके तहत 8 साल से अब तक इस योजना से देश के एविएशन क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है। मंत्रालय की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या बीते एक दशक में दोगुनी हुई है। साथ ही देश में एयरपोर्ट्स की संख्या में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। बता दें, वर्ष 2014 में देश में 74 एयरपोर्ट्स हुआ करते थे जो की अब बढ़कर 157 हो गए हैं। वहीं, 2047 तक केंद्र सरकार ने एयरपोर्ट्स की संख्या को बढ़ाकर लगभग 400 तक पहुँचाने का लक्ष्य तय किया है।

इस मामले पर जानकारी देते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) ने बताया कि ‘इस योजना का मकसद रीजनल एयर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना और इसको इतना किफायती बनाना है कि छोटे शहरों का आदमी भी आसानी से हवाई यात्रा कर सके। इसके साथ ही इस योजना का मकसद हवाई सुविधाओं को ऐसी जगह उपलब्ध कराना है, जहां उड़ान सेवाएं बिलकुल न हो या कम हो।

हवाई यात्रा में योजना से हुए कई बदलाव

मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि उड़ान योजना के चलते इन आठ सालों में हवाई यात्रा में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। इसकी वजह से टियर 2 और टियर 3 शहरों के नागरिकों के लिए हवाई यात्रा करने का सपना सच हो रहा है। वहीं, इस योजना से हवाई यात्रा के अलावा एविएशन सेक्टर से जुड़े कारोबार को भी बढ़त मिली है। जिसके चलते सस्टेनेबल बिजनेस मॉडल विकसित हुआ और रीजनल एयर ट्रैवल इकोसिस्टम बनाने में भी बड़ा योगदान देखने को मिला।

इतने विमानों के मिले ऑर्डर

गौरतलब हो कि इस योजना के तहत पहली उड़ान वर्ष 2017 में शिमला से दिल्ली के बीच 27 अप्रैल को शुरू हुई थी। जानकारी के मुताबिक भारतीय एयरलाइन ने अगले 10 से 15 सालों में डिलीवरी के लिए 1,000 से ज्यादा विमानों के ऑर्डर दिए हैं। जिससे लगभग 800 विमानों के मौजूदा फ्लीट में बढ़ोतरी हुई है। उड़ान एक बाजार-संचालित मॉडल पर काम करती है, जहां एयरलाइंस रूट्स पर मांगों का असेसमेंट किया जाता है और बिडिंग राउंड के दौरान प्रस्ताव प्रस्तुत करती है।

लीज किराए में भी छूट देने की योजना

मंत्रालय के मुताबिक, सरकार ने एयरलाइंस को आकर्षित करने के लिए कई उपाय लागू किए हैं। सरकार एमआरओ यूनिट्स को बढ़ावा देने के लिए रॉयल्टी खत्म करने और लीज किराए में भी छूट देने की योजना बनाई है। वहीं एयरपोर्ट संचालकों ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस) उड़ानों के लिए लैंडिंग और पार्किंग शुल्क माफ कर दिया है, और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) इन उड़ानों पर टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) नहीं लगाता है। इसके अलावा रियायती रूट नेविगेशन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) लागू किया गया है।

Related Articles

Back to top button